'जमानत मामलों में सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश समाधान नहीं', शीर्ष कोर्ट ने कहा- लंबित केस जल्द निपटाएं

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, हम हर दिन देखते हैं कि जमानत आवेदनों को खारिज करते समय विभिन्न हाईकोर्ट के आदेशों में नियमित रूप से सुनवाई के समापन के लिए समय-सीमा तय की जाती है। ऐसे निर्देश ट्रायल कोर्ट के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं क्योंकि कई ट्रायल कोर्ट में उसी श्रेणी के पुराने मामले लंबित हो सकते हैं।

Nov 30, 2024 - 08:00
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'जमानत मामलों में सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश समाधान नहीं', शीर्ष कोर्ट ने कहा- लंबित केस जल्द निपटाएं

नई दिल्ली  (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से कहा कि यदि कोई आरोपी लंबे समय तक जेल में रहने के कारण जमानत का हकदार है तो उसे जमानत अवश्य दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा है कि ऐसे मामलों में सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश जारी करना समाधान नहीं है।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, हम हर दिन देखते हैं कि जमानत आवेदनों को खारिज करते समय विभिन्न हाईकोर्ट के आदेशों में नियमित रूप से सुनवाई के समापन के लिए समय-सीमा तय की जाती है। ऐसे निर्देश ट्रायल कोर्ट के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं क्योंकि कई ट्रायल कोर्ट में उसी श्रेणी के पुराने मामले लंबित हो सकते हैं। 25 नवंबर के फैसले में पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए जल्द सुनवाई का हकदार नहीं हो सकता क्योंकि उसने सांविधानिक अदालतों का रुख किया है। पीठ ने इस बात पर अफसोस जताया कि असाधारण परिस्थितियों में जारी किया जा सकने वाला निर्देश संविधान पीठ की ओर से निर्धारित कानून को ध्यान में रखे बिना हाईकोर्ट नियमित रूप से जारी कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, हर अदालत में आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनका कई कारणों से शीघ्र निपटारा जरूरी है, जैसे दंड विधान की आवश्यकता, लंबी अवधि तक कारावास, अभियुक्त की आयु। सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति हमारी अदालतों में मामला दायर करता है, उसे बिना बारी के सुनवाई नहीं मिल सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने संग्राम सदाशिव सूर्यवंशी को जमानत देते हुए सभी हाईकोर्ट की अपनाई जाने वाली प्रथा पर चिंता जताई। सूर्यवंशी 500 रुपये के छह नकली नोट रखने के मामले में ढाई साल से जेल में बंद था। पीठ ने कहा, इस मामले में आरोपी की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। मुकदमा उचित समय में समाप्त होने की संभावना नहीं है। इसलिए मामले के तथ्यों के आधार पर अपीलकर्ता को इस सुस्थापित नियम के तहत जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए कि जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है।

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