ग्वालियर (आरएनआई) जनसुविधा व प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा वर्तमान संभाग, जिला, तहसील एवं विकासखंड जैसी प्रशासनिक इकाईयों के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया है। इसके लिये शासन द्वारा “मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग” का गठन किया है। सभी जिला कलेक्टर भौगोलिक परिस्थितियों एवं जन अपेक्षाओं के आधार पर प्रशासनिक इकाई में परिवर्तन के लिये प्रस्ताव तैयार करें। इसमें जनप्रतिनिधियों, आम जनता, अभिभाषक, स्वयंसेवी व सामाजिक कार्यकर्ता इत्यादि की राय भी ली जाए। यह बात मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने ग्वालियर – चंबल संभाग के सभी जिला कलेक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कही।
प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने रविवार को संभाग आयुक्त कार्यालय ग्वालियर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर प्रशासनिक इकाईयों के पुनर्गठन के संबंध में चर्चा की। इस अवसर पर संभाग आयुक्त मनोज खत्री भी उनके साथ मौजूद थे। यहाँ ग्वालियर कलेक्ट्रेट स्थित एनआईसी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक कुमार, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू अरुण कुमार व संयुक्त कलेक्टर संजीव जैन उपस्थित थे। इसी तरह शिवपुरी, दतिया, गुना, अशोकनगर, भिण्ड व मुरैना जिले के कलेक्टर अपने-अपने जिले से इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आयोग के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश में 68 साल में पहली बार इस तरह से प्रशासनिक इकाईयों का युक्तियुक्तिकरण करने की पहल हुई है। इसलिए सभी जिला कलेक्टर राज्य शासन की मंशा के अनुरूप पूरी गंभीरता के साथ आम जनता की-सुविधा को ध्यान में रखकर प्रशासनिक इकाई में परिवर्तन के लिए प्रस्ताव तैयार करें। साथ ही प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिये अपने सुझाव और मार्गदर्शी सिद्धांत भी प्रस्ताव में शामिल करें।
उन्होंने कहा कि प्रस्ताव तैयार करते समय भौगोलिक स्थिति व क्षेत्र की ऐतिहासिकता का विशेष ध्यान रखा जाए। अनुविभाग (उपखंड) के गठन व पुनर्गठन के लिये भी सुझाव दिए जाएँ। मनोज श्रीवास्तव ने कहा इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि लोक एवं तंत्र की भौगोलिक दूरी कम करना युक्तियुक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने कहा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के नियमों का पालन करते हुए प्रस्ताव को अंतिम रूप दें। परिवर्तन में ग्राम पंचायत यूनिट मानी जाए।
संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने सभी जिला कलेक्टर से कहा कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप प्रशासनिक इकाईयों में परिवर्तन की प्रक्रिया संपादित करें। यदि कोई गाँव या ग्राम पंचायत परिवर्तन चाहती है तो इसका प्रस्ताव ग्राम सभा व ग्राम पंचायतों की बैठक में पारित कराया जाए। साथ ही लोगों को यह भी बताएँ कि यह कोई राजनैतिक परिसीमन नहीं है। यह प्रक्रिया प्रशासनिक इकाईयों के युक्तियुक्तकरण के लिये है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी जिला कलेक्टर ने भी अपने-अपने विचार रखे। ग्वालियर कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने कहा कि जिले के कुछ राजस्व अनुविभाग का राज्य शासन से अनुमोदन न होने से पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं हो पाता। प्रशासनिक इकाई की पुनर्गठन प्रक्रिया से यह समस्या दूर हो जायेगी। उन्होंने जिले के उपखंड, विकासखंड व ग्राम पंचायतों युक्तियुक्तकरण के संबंध में भी अपनी बात रखी। इसी तरह संभाग के अन्य जिलों के कलेक्टरों ने अपने-अपने जिले की स्थितियाँ बताईं।
परिसीमन से प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का कोई संबंध नहीं
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मनोज श्रीवास्तव ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र के लिये होने वाले परिसीमन से मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का कोई संबंध नहीं है। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह अलग होती है और उसे संवैधानिक प्रक्रिया के तहत भारत सरकार के नोटिफिकेशन द्वारा किया जाता है। मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन राज्य शासन ने केवल प्रशासनिक इकाईयों के पुनर्गठन के उद्देश्य से किया है। आयोग द्वारा अपनी अनुशंसायें राज्य शासन को प्रस्तुत की जायेंगीं। जिसमें शासन निर्णय लेगा।