'जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों की निगरानी के लिए विशेष पीठ गठित करे हाईकोर्ट', शीर्ष अदालत का निर्देश
शीर्ष कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक सुनवाई की निगरानी के लिए विशेष पीठ गठित करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक प्रकारणों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों पर हाईकोर्ट विशेष निचली अदालतों से स्थिति रिपोर्ट मांग सकती हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमपी-एमएलए के खिलाफ मामलों के त्वरित निपटारे से संबंधित ट्रायल कोर्ट के लिए एक समान दिशानिर्देश बनाना उसके लिए मुश्किल होगा। कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से ऐसे मामलों की प्रभावी निगरानी और निपटान के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने को कहा।
शीर्ष कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक सुनवाई की निगरानी के लिए विशेष पीठ गठित करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक प्रकारणों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों पर हाईकोर्ट विशेष निचली अदालतों से स्थिति रिपोर्ट मांग सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुनवाई करने वाली अदालतें अहम और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामलों की सुनवाई स्थगित न करें।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों को कई निर्देश जारी किए। कोर्ट की व्यवस्था में कहा गया कि उच्च न्यायालय कानून निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेंगे, जिसकी अध्यक्षता या तो मुख्य न्यायाधीश या फिर उनके द्वारा नामित पीठ द्वारा की जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश जन प्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली नामित विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा एवं तकनीकी सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे।
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