'जनता के पत्रकार' इसुदान गढ़वी मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाने में रहे विफल

गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए अपनी पार्टी के एक जनमत सर्वेक्षण में इसुदान गढ़वी ने अधिकतम वोट हासिल किए। लेकिन वह गुजरात की राजनीति में अपनी और अपनी पार्टी की शुरुआत को शानदार बनाने के लिए पर्याप्त वोट हासिल करने में असफल रहे।

Dec 8, 2022 - 22:30
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'जनता के पत्रकार' इसुदान गढ़वी मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाने में रहे विफल
इसुदान गढ़वी

खंभालिया (गुजरात), 8 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए अपनी पार्टी के एक जनमत सर्वेक्षण में इसुदान गढ़वी ने अधिकतम वोट हासिल किए। लेकिन वह गुजरात की राजनीति में अपनी और अपनी पार्टी की शुरुआत को शानदार बनाने के लिए पर्याप्त वोट हासिल करने में असफल रहे।

खंभालिया सीट से उम्मीदवार गढ़वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अयार मुलुभाई हरदासभाई बेरा से पराजित हो गए, जिन्हें ‘आप’ नेता से 10 प्रतिशत अधिक वोट मिले।

राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से ‘आप’ केवल पांच सीटों पर आगे चल रही है। पत्रकार से राजनीतिज्ञ बने गढ़वी (40) केवल एक साल पहले जून, 2021 में राजनीति में आये थे और ‘आप’ में शामिल हुए थे। उन्होंने राज्य की जनता से भाजपा के 27 साल के शासन का अंत कर ‘आप’ को सत्ता में लाने का आह्वान किया था।

उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव नियुक्त किया गया और इस साल नवंबर में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा ‘आप’ के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया था। ‘आप’ ने लोगों से सोशल मीडिया, एसएमएस और ईमेल के जरिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के संबंध में अपनी राय देने को कहा था।

सत्तर प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने गढ़वी के पक्ष में अपनी राय व्यक्त की थी। गढ़वी महीने भर चले तूफानी चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ पार्टी के ‘स्टार प्रचारक’ थे।

प्रचार अभियान के दौरान, गढ़वी ने खुद को किसान का बेटा होने और कृषक समुदाय का समर्थन जीतने के लिए ‘आप’ के ‘‘बिजली, पानी और दाम’’ (उपज के लिए लाभकारी मूल्य) के वादे की बात की। लेकिन वह मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहे।

‘आप’ चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त समर्थन हासिल करने में विफल रही, लेकिन कई जगहों पर उसने कांग्रेस के मत हथिया लिए, जिससे करीबी मुकाबले वाली सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत हुई।

एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के पास अब पंजाब के प्रयोग को दोहराने का अवसर है, जहां वह पहले प्रयास में विफल रहने के बाद दूसरे प्रयास में सत्ता में आई थी।

पर्यवेक्षक ने कहा कि गढ़वी के लिए, प्रासंगिक बने रहना और लोगों के नेता के रूप में उभरना वास्तविक चुनौती होगी। उन्होंने कहा कि गढ़वी के सामने बूथ और प्रखंड स्तर पर पार्टी का एक ठोस कैडर आधार बनाने की चुनौती होगी, ताकि राज्य में भाजपा और कांग्रेस का मुकाबला किया जा सके।

एक प्रसिद्ध टेलीविजन प्रस्तोता और पत्रकार के रूप में उनकी पिछली भूमिका ने उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान आसानी से जनता से जुड़ने में मदद की।

देवभूमि द्वारका जिले के पिपलिया गांव के मूल निवासी गढ़वी का जन्म किसान परिवार में हुआ था। वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो राज्य की आबादी का 48 प्रतिशत है।

गढ़वी ने अहमदाबाद की गुजरात विद्यापीठ से पत्रकारिता में डिग्री प्राप्त हासिल की थी और लगभग 17 साल पहले एक स्थानीय समाचार चैनल के साथ पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था।

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