जन सुनवाई में डीजीपी ने दिये थे त्वरित कार्रवाई के निर्देश
राजगढ़ पुलिस की तत्परता से सुनीता की 30 घंटे में ही सुरक्षित घर वापसी
भोपाल (आरएनआई) मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित जन सुनवाई कार्यक्रम में डीजीपी श्री कैलाश मकवाणा द्वारा राजगढ़ एसपी को दूरभाष पर दिए गए निर्देश के परिणाम स्वरूप सुनीता की सकुशल घर वापसी हो गई है।
उल्लेखनीय है कि जब सुनीता (नाम बदला हुआ) अचानक घर से लापता हो गई, तो उसके माता-पिता के दिलों में घबराहट और डर का माहौल था। वे अपनी बेटी की खोज में हर संभव प्रयास कर चुके थे, लेकिन फिर भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद उन्होंने राज्य स्तर पर डीजीपी द्वारा शुरू किए गए जन सुनवाई कार्यक्रम का में अपनी शिकायत पुलिस महानिदेशक के समक्ष रखी। डीजीपी श्री मकवाणा ने आवेदक की उपस्थिति में ही एसपी राजगढ़ से दूरभाष पर चर्चा कर त्वरित कार्रवाई को निर्देशित किया गया।
डीजीपी के दिशा-निर्देश में पुलिस ने इसे एक प्राथमिकता के रूप में लिया। पुलिस के अधिकारियों की एक समर्पित टीम ने दो राज्यों में फैले इस मामले की जांच शुरू की। यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि आरोपित, देव करन ( नाम परिवर्तित) को पकड़ने के लिए पुलिस को 2400 किलोमीटर से अधिक उसका पीछा करके उसको भनक लगे बिना अपहर्ता को सकुशल लाना था।
पुलिस ने दिन-रात काम किया, डेटा का विश्लेषण किया और संदिग्धों से पूछताछ की। पुलिस के तकनीकी विशेषज्ञों और जमीनी टीमों ने मिलकर इस मामले की तेजी से जाँच की। केवल 30 घंटे के भीतर पुलिस ने सुनीता को सुरक्षित ढूँढ लिया और उसे उसके माता-पिता से मिलवाया। सुनीता के माता-पिता का आभार और राहत देखने योग्य था, और उनकी आँखों में आंसू थे – लेकिन ये आंसू खुशी और राहत के थे।
आरोपित देव करन को गिरफ्तार कर लिया गया, और न्याय की प्रक्रिया शुरू हुई। पुलिस की यह त्वरित कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि डीजीपी के जन सुनवाई कार्यक्रम के तहत जब पुलिस और जनता मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी समस्या हल हो सकती है। यह एक सफलता दिखाती है कि अगर पुलिस का नेतृत्व मजबूत हो और लोगों को अपनी समस्याएँ साझा करने का सही मंच मिले, तो समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना मजबूत की जा सकती है।
यह घटना जन सुनवाई कार्यक्रम की सफलता को उजागर करती है, और यह हमें यह सिखाती है कि जब समाज, पुलिस और परिवार एकजुट होते हैं, तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
राजगढ़ पुलिस की 30 घंटे में की गई त्वरित कार्रवाई इस बात का उदाहरण है कि तकनीकी कौशल, टीमवर्क और मानवीय संवेदनाओं का समावेश पुलिस के कामकाज में कितना महत्वपूर्ण है। सुनीता के माता-पिता की राहत और खुशी ने यह संदेश दिया कि पुलिस और जनता के बीच समन्वय होने पर, न्याय और सुरक्षा की भावना को और अधिक मजबूती मिलती है।
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