जज के घर नकदी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग, नलिन कोहली बोले- भ्रष्टाचार बर्दाश्त न किया जाए
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता नलिन कोहली ने घटना की जांच और स्पष्टीकरण की मांग की है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

नई दिल्ली (आरएनआई) दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता नलिन कोहली ने घटना की जांच और स्पष्टीकरण की मांग की है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि यह किसी प्रतिष्ठान या संस्था के विश्वास और विश्वसनीयता को कम करता है।
उन्होंने कहा कि मीडिया से जो भी पता चला है और सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट से जो भी सामने आया है वह बहुत परेशान करने वाला है। ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई। इस मामले में जो पता लगा उसके मुताबिक पहले आग लगने की घटना हुई। फायर ब्रिगेड जज के घर पर गई। इस दौरान बनाई गई वीडियो में बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी नजर आ रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को जांच सौंपी।
कोहली ने कहा कि जब दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिकारी जज के घर पर गए तो वहां कोई पैसा नहीं था। अब इस नकदी को किस प्रकार समझा जाए। ऐसा लगता है कि नकदी को हटा दिया गया। यह गंभीर सवाल उठाता है। इसका खंडन किया जाना चाहिए और कम से कम स्पष्टीकरण को दिया ही जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब किसी जज के घर से करोड़ों की नकदी मिलती है तो साफ तौर पर सवाल उठना लाजिमी है। यह बड़ा मुद्दा बनता है और इसका जवाब दिया जाना चाहिए। इसकी जांच की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय समिति इसकी जांच करेगी और हमें जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। इस मामले का उदाहरण पूरी न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए नहीं दिया जा सकता।
नलिन कोहली ने कहा कि न्यायपालिका में ईमानदार लोग हैं। जो दिन रात काम कर रहे हैं और ईमानदारी से कर रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि मौजूदा मामले की सच्चाई जल्द से जल्द सामने लाई जाए। फिलहाल जस्टिस वर्मा न्यायिक कार्य करेंगे या नहीं यह तो जांच समिति तय करेगी। मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे लोग कौन हैं जिन्होंने ये नकद लेन-देन किए है। भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह एक दीमक है जो पूरी संस्था को नष्ट कर देगा। साथ ही जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय करेगा।
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों से साफ इनकार किया है और दावा किया है कि स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य के द्वारा कोई नकदी नहीं रखी गई। जस्टिस वर्मा ने कहा कि उन्हें बदनाम करने की साजिश हो रही है। दरअसल मुख्य न्यायाधीश ने नकदी मिलने के मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा से उनके ऊपर लगे आरोपों पर जवाब मांगा था।
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