जंतर-मंतर पर महाधरना: वक्फ बिल के खिलाफ पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रदर्शन, केंद्र सरकार से कर रहे ये मांग
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण का आज चौथा दिन है। इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन हो रहा है। इसमें कई अन्य संगठन भी शामिल हो रहे हैं।

नई दिल्ली (आरएनआई) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के जंतर मंतर पर वक्फ संशोधन बिल 2024 के विरोध में महाधरना प्रदर्शन करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग और अन्य लोग शामिल हुए हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य मुस्लिम संगठनों ने जंतर-मंतर पर वक्फ बिल के खिलाफ सड़कों पर उतर गए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल भारत के धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। भारतीय संविधान का स्वरूप 12 से 35 में मौजूद बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता है। साथ ही यह बिल 25 करोड़ से ज्यादा अल्पसंखियांक नागरिकों की भावनाओं को कष्ट देने के बराबर है। अर्थात हम इसे पूरी तरह अस्वीकार करते हैं और सरकार से तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ एआईएमपीएलबी के विरोध पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा कि कुछ लोग भू-माफियाओं के इशारों पर कठपुतली की तरह नाच रहे हैं। मैं इन संगठनों से कहना चाहूंगा कि विरोध के नाम पर अपनी दुकानों और भू-माफियाओं के प्रति प्रेम दिखाने के बजाय गरीबों और मुसलमानों के हित में सोचने की कोशिश करें। इन भू-माफियाओं को अपना चश्मा उतार देना चाहिए।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जिम्मेदार कह रहे हैं कि देश में मुसलमानों को खतरा है, सुरक्षित नहीं हैं। ये सरासर गलत और गुमराह करने वाली बातें हैं। उन्होंने कहा कि देश में मुसलमान पूरी तरह सुरक्षित है। देश में मुसलमान अपने धार्मिक त्योहार, नमाज, रोजा, हज, जकात, जुलूस और उर्स आदि कार्यक्रम आजादी से मनाता है। कोई भी व्यक्ति या हुकूमत इन धार्मिक कार्यक्रमों में कोई भी बाधा नहीं डालती।
मौलाना ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ संशोधन बिल के विरोध में जंतर-मंतर दिल्ली पर धरना प्रदर्शन करने जा रहा है। धरना प्रदर्शन करना, अपनी आवाज बुलंद करना हर व्यक्ति को संविधान ने यह अधिकार दिए हैं। मगर रमजान का महीना खुदा की इबादत के लिए है, धरना प्रदर्शन के लिए नहीं। साल के 12 महीनों में रमजान के माह में मुसलमान पवित्रता के साथ रोजा रखता है। नमाज पढ़ता है, कुरआन शरीफ की तिलावत करता है। ऐसी स्थिति में रमजान शरीफ के दिनों में धरना-प्रदर्शन का आयोजन करना, लोगों को धार्मिक कार्य से रोककर राजनीतिक काम में लगाना है। साल के 11 महीनों में किसी दिन भी धरना प्रदर्शन किया जा सकता था। रमजान के महीने में ही क्यों आयोजन किया गया।
वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है।
वक्फ करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। जैसे- अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक मकान हैं और वह उनमें से एक को वक्फ करना चाहता है तो वह अपनी वसीयत में एक मकान को वक्फ के लिए दान करने के बारे में लिख सकता है। ऐसे में उस मकान को संबंधित व्यक्ति की मौत के बाद उसका परिवार इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उसे वक्फ की संपत्ति का संचालन करने वाली संस्था आगे सामाजिक कार्य में इस्तेमाल करेगी। इसी तरह शेयर से लेकर घर, मकान, किताब से लेकर कैश तक वक्फ किया जा सकता है।
पिछले कई दिनों से चर्चा थी कि सरकार संसद में वक्फ बोर्ड में संशोधन से जुड़ा विधेयक पेश कर सकती है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पेश किया। 40 से अधिक संशोधनों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में कई भागों को खत्म करने का प्रस्ताव है।
विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी परिवर्तन की बात कही गई है। इसमें केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। इसके साथ ही किसी भी धर्म के लोग इसकी कमेटियों के सदस्य हो सकते हैं। अधिनियम में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था।
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