जंगली लुटरों ने आदिवासी बालकों को रस्सी से बांधकर डेढ़ सौ बकरियाँ लूटी, आईजी के हस्तक्षेप से 10 दिन बाद हों सकी एफआईआर दर्ज
शिवपुरी। आदिवासियों को अपने साथ घटित आपराधिक व लूट की पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराने कितनी मसक्कत करना पड़ती है। इसका जीता जागता उदाहरण यहाँ देखने को मिला है। 8 दिन पूर्व सुल्तानगढ़ के जंगल में बकरियाँ चराने गए सहरिया आदिवासी बालकों के साथ जंगली लुटेरों ने जमकर अमानवीयता की साथ ही लगभग 149 बकरियाँ भी अपने साथ लूट ले गए। इस मामले की सूचना पर शिवपुरी की सुभाषपुरा थाना पुलिस व मोहना थाना पुलिस मौके पर भी पहुंची मगर दोनों ही थाना पुलिस ने एक दूसरे के पाले में गेंद उछाल दी और मामला कायम करने से यह कहकर पीछे हट गईं कि ये मामला उनके थाना का नहीं है । आज सहरिया क्रांति संयोजक ने मामला ग्वालियर पुलिस आईजी के संज्ञान में लाया गया तब कहीं जाकर आदिवासियों को प्राथमिकी दर्ज करने ग्वालियर पुलिस ने बुलाया है। पुलिस की आदिवासियों के साथ हुई आपराधिक घटना की टा लमटोली की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है ।
शिवपुरी के सुभाषपुरा थाना अंतर्गत आनेवाले कलोथरा गाँव के दो आदिवासी बालक प्रतिदिन की भांति अपनी बकरियाँ चराने सुल्तानगड़ के जंगल में गए थे । वहीं उनका हमउम्र टीकला थाना मोहना का दिलीप आदिवासी भी अपनी बकरियाँ चरा रहा था । जब वे दोपहर 2 बजे अपने घर की ओर लौटने को हुये तभी चेहरे को ढंके लगभग 7- 8 की संख्या में जंगली लुटेरे आ धमके । उक्त लुटेरों ने तीनों बालकों रामबाबू आदिवासी ,सिकड़ू आदिवासी व दिलीप आदिवासी के हाथ पीछे करके रस्सियों से बांध दिये । और उन्हे चुपचाप खड़ा होने को बोला । जैसे ही आदिवासी बालकों ने सवाल पूछा कि हमें क्यों बांधा है तो उन्होने मार पिटाई शुरू कर दी व जेबों की तलाशी ली । दिलीप की ज़ेब मे रखा मोबाइल भी उन लुटेरों ने अपने पास छुड़ाकर रख लिया । जब वे बकरियाँ हांक रहे थे तभी मौका मिलते ही रामबाबू भाग गया। इसके बाद लुटेरों ने सिकड़ू व दिलीप की मारपीट की व दोनों को उलटा करके एक दूसरे से बांध दिया । उक्त लुटेरे इन बालकों से लगभग डेढ़ सौ बकरियाँ लूट कर जंगल के रास्ते भाग गए। लुटेरों से बचता हुआ रामबाबू जब घर पहुंचा तो अपने साथ घटित हादसे की सूचना दी। बुरी तरह घ्ब्राए परिजनों ने सुभाषपुरा थाना पुलिस को मामले की सूचना दी मगर उन्होने मामले को ये कहकर टरकाना चाहा कि हमारा थाना नहीं लगता तुम लोग मोहना थाना जाकर रिपोर्ट लिखाओ । थाना प्रभारी का बेरुखा जबाब सुनकर आदिवासी जंगल में दौड़कर गए आदिवासी समुदाय के लोग जब बच्चों को आवाज लगाकर ढूंढ रहे थे तभी जंगल मे दोनों बालक बंधे हुये मिल गए ।
वारदात का शिकार हुये रामबाबू व सिकड़ू की माँ प्रेमवाती ने बताया कि अपनी लाखों रुपए की बकरियाँ जंगली लुटेरों द्वारा लूट लेने की पुलिस में रिपोर्ट लिखाने पहुंचे तो थाना प्रभारी ने उनको पहले तो यह कहकर भगा दिया कि बकरियन ही तो गई गईं पर तुम्हारे मौड़ा मिल गए अब रिपोर्ट फिफ़ोर्ट छोड़ो खुशी मनाओ कि बच्चे जिंदा मिल गए । ज्यादा जिद करने पर पुलिस मौके पर गई और वहाँ जाकर बोला कि ये सीमा ग्वालियर की लगती है ,रिपोर्ट मोहना जाकर लिखाओ । बक़ौल प्रेमवती जब वे मोहना थाना फूंचे तो वहाँ कि पुलिस ने मौके पर जाकर नक्शा बनाया और बोला ये मामला तो हमारी सीमा का नहीं है। तुम लोग सुभासपुरा मे ही जाकर रिपोर्ट लिखवाओ । यहाँ से वहाँ इस थाने से उस थाने ,उस थाने से इस थाने घूमते जब असुनवाई से परेशान हो गए तो घर पर बैठकर ही मातम मनाते रहे ।
अपने कई नग बकरियों की लूट व अत्याचार कीरिपोर्ट जब किसी थाने में नहीं लिखी तब ग्रामीणों की सलाह पर पीढ़ित आदिवासी सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के पास आए और रोते हुये अपनी आपबीती सुनाई । मामले के संबंध मे उन्होने जब दोनों थाना पुलिस से संपर्क साधा तो उन्होने स्पष्ट तौर पर अपना थाना सीमा न होने का जबाब दिया । सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने ग्वालियर के पुलिस महानिरीक्षक डी श्रीनिवास को अवगत कराया तो उन्होने मामले की गंभीरता समझते हुये तत्काल आदिवसियों के साथ घटित मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने का आश्वाशन दिया । कुछ देर बाद ही आदिवासियों को मोहना पुलिस ने यह कहकर थाना बुलाया है कि जल्दी आ जाओ एफआईआर दर्ज करनी है।
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