छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त IPS की बहाली पर केंद्र की अपील खारिज; देशद्रोह-भ्रष्टाचार के थे आरोप
दिल्ली हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा अधिकारी के खिलाफ तीन एफआईआर में कार्यवाही पर रोक को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कार्यवाही के नतीजे की प्रतिक्षा किए बिना अधिकारी की सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया गया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की बहाली को बरकरार रखने वाले आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील खारिज कर दी। अधिकारी को भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और देशद्रोह के आरोपों के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया था। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एस वी एन भट्टी की पीठ ने याचिका को खारिज करने का आदेश दिया।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को रद्द करने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने 23 अक्तूबर को आईपीएस अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर कैट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ केंद्र की चुनौती को खारिज कर दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा अधिकारी के खिलाफ तीन एफआईआर में कार्यवाही पर रोक को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कार्यवाही के नतीजे की प्रतिक्षा किए बिना अधिकारी की सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया गया था। अदालत ने कहा कि तीन साल की देरी के बावजूद पूर्व आईपीएस अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही में एक जांच अधिकारी भी नियुक्त नहीं किया गया।
हाई कोर्ट ने कहा कि बिना किसी तर्क के उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले मे कार्यवाही को फिर से शुरू करना परेशान करने जैसा था। पूर्व आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की मशीनरी का इस्तेमाल उन्हें परेशान किया गया।
गुरजिंदर पाल सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। भाजपा शासन के दौरान वह रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में आईजी के रूप में तैनात रहे थे। यहीं पर उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। आरोपों के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के निदेशक के पद से उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
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