'चुनौतियों के बावजूद देश के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष अभियानों में बढ़त हासिल की', नेवी चीफ ने सराहा
नेवी चीफ ने जोर दे कहा कि स्पेस सेक्टर में आज परिकल्पना करने, बनाने, लागू करने, लॉन्च करने और अंतरिक्ष में अपनी तकनीक को अपरिहार्य बनाए रखने के मामले में हमारे देश ने जो प्रदर्शन किया है वह दुनिया के सामने यह जाहिर करता है कि हमारी कोई सीमा नहीं है।
नई दिल्ली (आरएनआई) असख्ंय चुनौतियौं और तकनीक की कमी के बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि देश अंतरिक्ष की रेस में बढ़त हासिल कर सकता है। नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने गुरुवार को नई दिल्ली में इंडियन डिफेंस सिंपोजियम 2024 के दौरान बोलते हुए ये बातें कही।
उन्होंने कहा, "एलन मस्क की भारत यात्रा और सरकार की ओर से मशीनरी, सिस्टम और सब सिस्टम में 100% एफडीआई और वाहनों व उससे जुड़ी तकनीक में 49% एडीआई की मंजूरी दिए जाने के बाद अब यह सोचना कोई रॉकेट साइंस नहीं लगता कि भारत अमृत काल की ओर बढ़ रहा है। हमारा स्पेस सेक्टर इस यात्रा का नेतृत्व कर रहा है। हमारे वैज्ञानिकों ने कई चुनौतियों और तकनीक की कमी के बावजूद यह साबित किया है कि भारत स्पेस की रेस में बढ़त हासिल कर सकता है।"
नेवी चीफ ने जोर दे कहा कि आज परिकल्पना करने, बनाने, लागू करने, लॉन्च करने और अंतरिक्ष में अपनी तकनीक को बनाए रखने के मामले में आज हमारे देश जो प्रदर्शन किया है वह दुनिया के समाने यह जाहिर करता है कि हमारी कोई सीमा नहीं है।
नेवी चीफ ने कहा कि डिफेंस स्पेस सिंपोजियम आयोजित करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है, जब हमने मंगल, चंद्रमा और सूर्य से जुड़े अंतरिक्ष अभियानों में सफलता हासिल की है। एडमिरल कुमार ने आगे कहा कि भारत का अंतरिक्ष अभियान देश के विकास के साथ-साथ सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है।
नेवी चीफ ने कहा, "रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की स्थापना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष का लाभ उठाने के लिए सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता को जाहिर करती है। आपस में सहयोग को बढ़ावा देकर और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाकर हम महान राष्ट्र की सुरक्षा, संरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करते हुए अन्वेषण के नए मोर्चे खोल सकते हैं।"
कार्यक्रम के दौरान डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर बी कामत ने कहा कि अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है जहां डीआरडीओ ध्यान केंद्रित कर रहा है। हम स्टार्ट-अप और एमएसएमई के साथ काम करना चाहते हैं और अगर उद्योग के पास कोई योजना है तो हम नई तकनीकी परियोजनाओं को पूंजी देने के लिए भी तैयार हैं। हमें अंतरिक्ष क्षेत्र में रक्षा बलों के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के मामले में मिलकर काम करने की जरूरत है।
कार्यक्रम के दौरान भारतीय वायुसेना के डीजी एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल सूरत सिंह ने कहा कि स्पेस सेक्टर का दायरा जमीन, आकाश और पानी तीनों क्षेत्रों में फैला हुआ है। भारत की ओर से अंतरिक्ष में मानवयुक्त यान भेजने के अभियान (गगनयान) में भारतीय वायुसेना (IAF) ने अहम भूमिका निभाई है। इस अभियान के लिए चुने गए वायुसेना के जवानों को बहुत अच्छे तरीके से प्रशिक्षित किया गया है। वे अभियान के दौरान अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।
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