चुनाव नहीं लड़ेंगे भाजपा सांसद वीके सिंह
मैंने गाजियाबाद को एक विश्व स्तरीय शहर बनाने के सपने को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम किया है।
गाजियाबाद (आरएनआई) भाजपा सांसद वीके सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 न लड़ने का एलान किया है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, मैंने सैनिक के रूप में इस राष्ट्र की सेवा में अपना सारा जीवन समर्पित किया है। पिछले 10 वर्षों से, मैंने गाजियाबाद को एक विश्व स्तरीय शहर बनाने के सपने को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम किया है। इस यात्रा में, देश और गाजियाबाद के नागरिकों के साथ-साथ भाजपा के सदस्यों का जो विश्वास और प्रेम मुझे प्राप्त हुआ है, उसके लिए मैं आभारी हूं। यह भावनात्मक बंधन मेरे लिए अमूल्य है।
इन भावनाओं के साथ, मैंने एक कठिन, परंतु विचारपूर्ण निर्णय लिया है। मैं 2024 के चुनावों में नहीं लड़ूंगा। यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, परंतु मैंने इसे अपने दिल की गहराइयों से लिया है। मैं अपनी ऊर्जा और समय को नई दिशाओं में ले जाना चाहता हूँ, जहां अपने देश की सेवा अलग तरीके से कर सकूं।
इस यात्रा में आपके साथी रहने के लिए मैं आप सब को दिल से धन्यावाद देता हूं। आपके प्यार, समर्थन और विश्वास ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। आगे भी, मैं देश और सब नागरिकों के प्रति अपनी सेवा जारी रखूंगा, बस एक नए रूप में।
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के टिकट दावेदारों में एक और नाम जुड़ गया है। यह नाम है पूर्व वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया का जिन्होंने रविवार को ही भाजपा का दामन थामा है। इसी के साथ अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि भाजपा उन्हें मौजूदा सांसद पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल (रिटायर्ड) विजय कुमार सिंह की जगह उतार सकती है। अब जब उन्होंने चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया है तो देखना यह है कि टिकट की बाजी पूर्व थल सेना अध्यक्ष मारते हैं या फिर किसी और को उम्मीदवार बनाया जाता है।
गाजियाबाद को भाजपा हाईकमान सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानकर चलता है। 1991 में यहां पहली बार कमल खिला था। तब से 2019 तक हुए आठ चुनावों में सात भाजपा ने जीते हैं। सातों बार क्षत्रिय उम्मीदवार रहे। चार बार रमेश चंद तोमर जीते, एक बार राजनाथ सिंह और दो बार जनरल रिटायर्ड वीके सिंह। इनमें वीके सिंह की जीत सबसे बड़ी रही। वह दोनों बार पांच लाख से ज्यादा वोटों से जीते।
इसके बावजूद भाजपा उम्मीदवारों की चार सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। मेरठ मंडल की पांच सीटों में से गाजियाबाद और मेरठ से ही टिकट फाइनल नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि दोनों सीटों के टिकट एक दूसरे से जुड़े हैं। पश्चिम यूपी के समीकरण को देखते हुए एक सीट से क्षत्रिय और एक से वैश्य समाज से टिकट दिया जाना है। पिछले चुनावों में भी भाजपा ऐसा करती रही है।
आरके सिंह आगरा के बाह तहसील क्षेत्र के कोरथ गांव के रहने वाले हैं। यह गांव फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है और क्षत्रिय बहुल भी है लेकिन यहां से मौजूदा सांसद राजकुमार चाहर को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
भाजपा में गाजियाबाद सीट से इस बार सबसे पहले केंद्रीय मंत्री का नाम चला। उनका नाम मुंबई से घोषित हो चुका है।
दूसरा नाम राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह का तेजी से चला। उन्हें गाजियाबाद के विधायकों की पसंद बताया गया।
अरुण सिंह को भाजपा ने आंध्र प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया तो गाजियाबाद से टिकट दावेदारों से उनका नाम हट गया।
अरुण सिंह के हट जाने से वीके सिंह का टिकट फाइनल माना जा रहा था लेकिन आरके सिंह के आने से कहानी में ट्विस्ट आ गया।
टिकट दावेदारों में और भी कई नाम हैं। इनमें अभिनेत्री कंगना रणौत, कवि कुमार विश्वास और पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल शामिल हैं।
गाजियाबाद सीट पर अभी तक कांग्रेस और बसपा ने भी पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस में कई दावेदारों के नाम चल रहे हैं। एक -दो कई दिन से सक्रिय भी हैं। ये पहले चुनाव लड़ चुके हैं। देखना यह है कि पार्टी किसी पुराने चावल पर भरोसा करती है या फिर नया चेहरा उतारती है। बसपा यहां मुस्लिम और ब्राह्मण प्रत्याशी उतारती रही है। माना जा रहा है कि उम्मीदवार का एलान होली के बाद होगा।
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