जम्मू-कश्मीर: चुनाव आयोग की टीम से प्रदेश में जल्द चुनाव कराने का आग्रह, जानें क्या बोले राजनीतिक दल
ईसीआई की टीम ने सभी 20 जिलों के डीसी, 23 पुलिस प्रमुखों, सीईओ और पुलिस नोडल अफसर से मंत्रणा की। इसके अलावा टीम ने विभिन्न राजनीतिक दलों भाजपा, नेकां, कांग्रेस, पीडीपी, सीपीआई (एम) के प्रतिनिधियों के साथ भी मुलाकात की।
श्रीनगर (आरएनआई) जम्मू-कश्मीर में पहले विधानसभा चुनाव की संभावनाएं तलाशने चुनाव आयोग का दल दो दिवसीय दौरे पर वीरवार को श्रीनगर पहुंचा। इस दौरान राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय दलों ने आयोग से जल्द चुनाव कराने की मांग रखी।
आयोग ने सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों और पुलिस प्रमुखों के अलावा मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा राज्य पुलिस नोडल अधिकारी के साथ अलग-अलग बैठकें कर चुनाव कराने के संबंध में फीडबैक लिया। टीम ने सभी 20 जिलों के डीसी, 23 पुलिस प्रमुखों, सीईओ और पुलिस नोडल अफसर से मंत्रणा की।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार तथा चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार व एसएस संधू के साथ पांच सदस्यीय आयोग का दल शुक्रवार को मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ श्रीनगर में बैठक कर चुनाव प्रबंधों पर बात करेगा। इसके बाद दल जम्मू आकर सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक कर चुनाव में सुरक्षा इंतजामों तथा सुरक्षा बलों की जरूरतों पर विचार करेगा।
श्रीनगर के एसकेआईसीसी में चुनाव आयोग के दल ने विभिन्न राजनीतिक दलों भाजपा, नेकां, कांग्रेस, पीडीपी, सीपीआई (एम) के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की। सभी ने एक स्वर में कहा कि जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश दिया है। वहीं, कांग्रेस ने दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक में विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। इसके अलावा भाजपा ने चुनावी तैयारियों को गति देते हुए 132 सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया।
नेकां के प्रांतीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी ने पार्टी के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि नेकां जम्मू-कश्मीर में तत्काल विधानसभा चुनाव की मांग करती है। जम्मू-कश्मीर के लोग अब अपनी सरकार चाहते हैं। हमने चुनाव आयोग से निश्चित निर्णय लेने के लिए कहा। 2018 से जम्मू-कश्मीर में कोई सरकार नहीं है और पिछले 10 वर्षों से विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। एक एलजी, उनके एकमात्र सलाहकार और कुछ नौकरशाह जम्मू-कश्मीर को नहीं चला सकते। वानी ने कहा, हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, राजनीतिक, विकासात्मक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को तब ही संबोधित किया जा सकता है जब जनता के पास चुने हुए प्रतिनिधि हों। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को आश्वासन दिया है कि चुनाव होंगे। वानी ने कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट की 30 सितंबर की समय सीमा पूरी हो जाएगी। कठिन समय में भी मतदान हुए हैं, यहां तक कि 1996 में भी जब हालात खराब थे।
भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई ने भी तत्काल विधानसभा चुनाव की वकालत की। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आरएस पठानिया ने कहा, हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। पार्टी चाहती है कि चुनाव सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा के भीतर हों। कांग्रेस नेता जीएन मोंगा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र फलना-फूलना चाहिए। लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोग पिछले कई सालों से चुनाव के बिना हैं। पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के साथ जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य पर भी चर्चा की। इसलिए, हमने अपील की कि हर पार्टी को एक ही तराजू में तोला जाना चाहिए।
पीडीपी नेता खुर्शीद आलम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए। आलम ने पूछा, जब सरकार कहती है कि स्थिति में सुधार हुआ है और बेहतर है, जब एक करोड़ पर्यटक यहां आए, जब संसदीय चुनाव और अमरनाथ यात्रा बिना किसी घटना के हुई, तो चुनाव न कराने का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल किया जाए। देश लोकतंत्र में विश्वास करता है, इसलिए तुरंत चुनाव कराने चाहिए। उन्होंने कहा कि ईसीआई से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
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