'चीन को अगर क्षेत्रीय अखंडता चाहिए तो उसे पहले रूस को दी गई जमीन वापस लेनी चाहिए', ताइवान का बयान
राष्ट्रपति लाई ने तर्क दिया कि अगर ताइवान पर आक्रमण करने का चीन का मकसद वास्तव में क्षेत्रीय अखंडता है, तो उसे 19वीं शताब्दी में रूस को दी गई भूमि को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
ताइपे (आरएनआई) ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ने दावा किया है कि ताइवान पर कब्ज़ा करने की चीन की इच्छा क्षेत्रीय अखंडता से प्रेरित नहीं है, बल्कि आधिपत्य हासिल करने के लिए यह 'नियम-आधारित विश्व व्यवस्था' को बदलने के बारे में है। हाल ही में एक स्थानीय समाचार चैनल को दिए गए इंटरव्यू में राष्ट्रपति लाई ने तर्क दिया कि अगर ताइवान पर आक्रमण करने का चीन का मकसद वास्तव में क्षेत्रीय अखंडता है, तो उसे 19वीं शताब्दी में रूस को दी गई भूमि को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य मुद्दा केवल ताइवान और चीन के बीच का मामला नहीं है बल्कि पूरे हिंद प्रशांत महासागर और यहां तक कि पूरी दुनिया का मुद्दा है। लाइ ने दावा किया कि यूक्रेन युद्ध के चलते रूस अपने सबसे कमजोर दौर में है। ऐसे में चीन किंग राजवंश के दौरान ऐगुन संधि के तहत दी गई भूमि को रूस से वापस मांग सकता है, लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया। लाइ ने कहा कि ताइवान के लिए अभी सबसे अहम चीज एकता है और चीनी आक्रमण के खिलाफ एक साथ खड़े होकर ही ताइवान अपना भविष्य सुरक्षित कर सकता है।
ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवान ने अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर फैलाया है। ताइवान के लोग लोकतांत्रिक और स्वस्थ जीवनशैली चाहते हैं और चीन को इसे चुनौती के रूप में नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर चीन सिर्फ ताइवान पर कब्जा करना चाहता है तो उसे पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति रखने और रूस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की कोई जरूरत नहीं है। हाल के समय में चीन और ताइवान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। चीन द्वारा लगातार ताइवान की हवाई और समुद्री सीमा का उल्लंघन किया जा रहा है।
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