चित्रगुप्त प्राकट्यदिवस पर हुआ धार्मिक आयोजन,बड़ी संख्या में कायस्थजन जुटे
गुना (आरएनआई) मनुष्य के कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले एवं कायस्थ समाज के आराध्यदेव भगवान श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण दिवस जाटपुरा स्थित श्री चित्रगुप्त मंदिर में समारोहपूर्वक मनाया गया।मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन भगवान श्री चित्रगुप्त जी के अवतरण हुआ था।चित्रगुप्त मंदिर न्यास के अध्यक्ष जगदीश श्रीवास्तव बरखेड़ा ने बताया कि पुराणों के अनुसार वैशाख मास गंगा सप्तमी के दिन ब्रम्हा की हजारों वर्षों की तपस्या के पश्चात उनकी काया से भगवान श्री चित्रगुप्त की उत्पत्ति हुई थी. ब्रम्हा ने कहा था कि, क्योंकि तुम मेरे चित्त में गुप्त थे, इसलिये तुम चित्रगुप्त कहलाओगे. अखिल ब्रम्हांड के जीवों के, धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने का कार्य उन्हे सौंपा गया. ब्रम्हकाया से उत्पन्न होने के कारण ही इस जाति का नाम कायस्थ पडा. इनकी दो पत्नियाँ थी ऐरावली और सुदक्षणा जिनसे 4 व 8 पुत्र हुये जो श्रीवास्तव ,सूरजध्वज, निगम, कुलश्रेष्ठ,सक्सैना अष्ठाना, निगम,माथुर, भटनागर आदि.
इसी क्रम में आज कायस्थ समाज भगवान श्री चित्रगुप्त प्राकट्योत्सव मनाया गया जिसमें संगीतमय सुंदरकांड,कथा ,छप्पन भोग व महाआरती का आयोजन किया गया जिसके उपरांत भोज प्रसादी वितरण किया गया जिसमें बड़ी संख्या में कायस्थजनों ने भाग लेकर धर्मलाभ लिया।वहीं महिला मंडल की संयोजक श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव ने बताया कि महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?