चित्तौड़गढ़ किले के पांच किमी के दायरे में विस्फोट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
सीएसआईआर-सीबीआरआई की रिपोर्ट मंत्रालय के अनुरूप नहीं शीर्ष अदालत ने नोट किया कि सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की की 30 सितंबर 2014 की रिपोर्ट कोयला और खान मंत्रालय, भारतीय खान ब्यूरो, खनन अनुसंधान सेल की रिपोर्ट के अनुरूप नहीं थी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने मौर्य काल में निर्मित और विश्व विरासत स्मारक घोषित राजस्थान के प्रतिष्ठित चित्तौड़गढ़ किला परिसर की दीवार के पांच किमी के दायरे में विस्फोटकों के इस्तेमाल से चूना पत्थर के खनन पर रोक लगा दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की पीठ अदालत की ओर से नियुक्त सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की की उस रिपोर्ट से सहमत नहीं हुई, जिसमें चित्तौड़गढ़ किले से विस्फोट कार्यों के लिए सुरक्षित न्यूनतम दूरी का सुझाव दिया गया था।
पीठ ने इसके बजाय नए सिरे से अध्ययन करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के पट्टेदारों की ओर से आसपास के क्षेत्र में उपलब्ध खनिजों का दोहन, विशेष रूप से अवैज्ञानिक तरीके से या अनुपयुक्त खनन गतिविधियों से चित्तौड़गढ़ किले के ढांचे के लिए खतरा है। पीठ ने कहा, यह मुद्दा निस्संदेह गंभीर चिंता का विषय है।
सीएसआईआर-सीबीआरआई की रिपोर्ट मंत्रालय के अनुरूप नहीं शीर्ष अदालत ने नोट किया कि सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की की 30 सितंबर 2014 की रिपोर्ट कोयला और खान मंत्रालय, भारतीय खान ब्यूरो, खनन अनुसंधान सेल की रिपोर्ट के अनुरूप नहीं थी।
अदालत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), के चेयरमैन को दो सप्ताह के भीतर सिविल इंजीनियरिंग, भूकंप इंजीनियरिंग, संरचनात्मक भूविज्ञान और खनन इंजीनियरिंग में बहु-विषयक विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया।
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