चारा घोटाला मामले में जमानत पाने के बाद लालू बैडमिंटन खेल रहे
जमानत रद्द करने की सीबीआई की अपील पर लालू की ओर से खराब सेहत का हवाला दिया गया। उनकी ओर से कहा गया कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई लक्ष्य पूरा नहीं होगा। जस्टिस एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने मामले की सुनवाई 17 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी।
नई दिल्ली। (आरएनआई) चारा घोटाला मामले में चिकित्सा आधार पर जमानत मिलने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद यादव बैडमिंटन खेल रहे हैं। यह बात केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कही। सीबीआई ने इस आधार पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को दी गई राहत रद्द करने की मांग की। वहीं, लालू के वकील ने सीबीआई की मांग का विरोध करते हुए कहा कि हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री का किडनी प्रत्यारोपण हुआ है।
जमानत रद्द करने की सीबीआई की अपील पर लालू की ओर से खराब सेहत का हवाला दिया गया। उनकी ओर से कहा गया कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई लक्ष्य पूरा नहीं होगा। जस्टिस एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने मामले की सुनवाई 17 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी। बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल 2022 को डोरंडा कोषागार गबन मामले में 75 साल के लालू को जमानत दे दी थी।
सीबीआई ने डोरंडा कोषागार में अनियमितता मामले में लालू की जमानत रद्द करने की मांग की है। मामले में लालू यादव को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि राजद प्रमुख को जमानत देने का झारखंड हाईकोर्ट का आदेश कानून की दृष्टि से खराब और त्रुटिपूर्ण था। लालू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री की किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी का हवाला देकर सीबीआई की अर्जी का विरोध किया। सिब्बल ने दलील दी कि लालू ने इस मामले में पहले ही 42 महीने जेल में बिता लिए हैं।
राजू ने कोर्ट को बताया कि लालू यादव बैडमिंटन खेल रहे हैं। मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें जमानत दी गई है। मैं साबित करुंगा कि हाईकोर्ट का आदेश कुल मिलाकर खराब है। कानून का एक छोटा सा सवाल है। जमानत इस गलत धारणा पर दी गई है कि उन्होंने प्रसाद ने साढ़े तीन साल से अधिक जेल में काट लिया है। यह बात भी है कि सजाएं साथ-साथ चलने वाली हैं, एक के बाद एक नहीं।
राजद सुप्रीमो को 950 करोड़ के चारा घोटाला से जुड़े पांच मामलों में जेल की सजा हुई है। यह घोटाला 1992 से 1995 के बीच उस वक्त का है, जब लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे। वे वित्त और पशुपालन विभाग का जिम्मा भी संभाल रहे थे।
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