चार दशक में भारत में 2.61 करोड़ लोगों की गई जान, वायु प्रदूषण ने समय से पहले ली 13.5 करोड़ जानें

सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन में डराने वाली जानकारी का खुलासा हुआ है। वायु प्रदूषण से दुनियाभर में 40 साल में लगभग 13.5 करोड़ लोगों की असामयिक मृत्यु हुई। समय से पहले मृत्यु से तात्पर्य उन मौतों से है जो औसत जीवन प्रत्याशा के आधार पर अपेक्षा से पहले और बीमारियों या पर्यावरणीय कारणों से होती हैं।

Jun 14, 2024 - 05:34
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चार दशक में भारत में 2.61 करोड़ लोगों की गई जान, वायु प्रदूषण ने समय से पहले ली 13.5 करोड़ जानें

नई दिल्ली (आरएनआई) वायु प्रदूषण से दुनियाभर में वर्ष 1980 से 2020 तक में लगभग 13.5 करोड़ लोगों की असामयिक मृत्यु हुई। समय से पहले मृत्यु से तात्पर्य उन मौतों से है जो औसत जीवन प्रत्याशा के आधार पर अपेक्षा से पहले और बीमारियों या पर्यावरणीय कारणों से होती हैं।

सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में इस डराने वाली जानकारी का खुलासा किया है। अध्ययन के नतीजे एनवायरमेंट इंटरनेशनल पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अल नीनो-दक्षिणी दोलन, हिंद महासागर द्विध्रुवीय और उत्तरी अटलांटिक दोलन जैसी जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के कारण प्रदूषण के महीन कणों पीएम 2.5 का प्रभाव बदतर हो गया और इसकी वजह से अकाल मृत्यु में 14 फीसदी की वृद्धि हुई है। पिछले अध्ययनों ने वायु गुणवत्ता और जलवायु के पहलुओं का पता लगाया है, जबकि यह अध्ययन दुनियाभर में किया गया और इसमें 40 से अधिक सालों के आंकड़ों का विश्लेषण कर इस बात का पता लगाया गया कि विशिष्ट जलवायु पैटर्न विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कैसे प्रभावित करते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि जलवायु पैटर्न में बदलाव वायु प्रदूषण को बदतर बना सकते हैं।

चीन में 4.9 और भारत में 2.61 करोड़ मौतें हुईं
पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, और जापान में भी पीएम 2.5 के कारण असामयिक मौतों की संख्या काफी अधिक थी, जो हर साल 20 से 50 लाख के बीच थी। 

1980 से 2020 तक समय से पहले होने वाली मौतों में से एक तिहाई स्ट्रोक (33.3 फीसदी) और इतनी ही इस्केमिक हृदय रोग (32.7 फीसदी) से जुड़ी थीं। बाकी समय से पहले होने वाली मौतें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और फेफड़ों के कैंसर से हुईं।

यह समझने के लिए कि पीएम 2.5 प्रदूषण मृत्युदर पर कैसे असर डालता है, शोधकर्ताओं ने पृथ्वी के वायुमंडल में महीन कणों के स्तर पर नासा के उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों का अध्ययन किया।

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