चर्चित चेहरा- ...और सोदी ने विश्वकप से देश की सीमा पर अपना जज्वा दिखाया
उषा पाठक
संगरूर (पंजाब), 16 मार्च 2023, (आरएनआई)। कहते हैं,इंसान में अगर जज्वा हो तो वह अपनी मंजिल को हासिल कर लेता है।ऐसी ही कहानी है एक साधारण परिवार में जन्मे उप कमांडेंट हरबंत सिंह सोदी की।
पंजाब के संगरूर में हजाऱा सिंह सोदी एवं बलबीर कौर की चार पुत्र-पुत्रियों में एक हरबंत बचपन से ही खेल में रूचि रखते थे।उनका पूरा ध्यान पढाई के अलव्ज़ इसी ओर रहता था।वह इसमें काफी अच्छा करने लगे थे।इसी वजह से उन्हें वर्ल्ड कप में खेलने के लिए फ्रांस भेजा गया।जहाँ उन्होंने भारत का नाम रौशन किया था।
वर्ष 1975 में खेल कोटे से ही उन्हें सीमा सुरक्षा बल में एस.आई.बनाया गया।वे अपनी सेवा के दौरान विभिन्न पदों एवं स्थानों पर रहे।जम्मू कश्मीर से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भी उन्हें सेना के साथ काम करने का मौका मिला।
हरबंत की वर्ष 1980 में जालंधर की रहने वाली रेणु से शादी हो गयी।उनके दो संतान विशाल एवं इना है।दोनों शादी शुदा हैं और अलग अलग रह रहे हैं।हरबंत पत्नी रेणु के साथ अलग रहते हैं।श्रीमती रेणु एक धर्म पारायण महिला है।वह रोज समय निकालकर गुरुद्वारा जरूर जाती हैं।
वर्ष 2015 में 30 अप्रैल को उप कमांडेंट के पद से अवकाश ग्रहण कर चुके हरबंत कहते हैं,कि देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर काम करने का अलग ही आनंद है।उन्होंने कहा कि जब उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर से लगती सीमा पर थी,तो वहाँ खतरा तो रहता था,क्योंकि दुश्मन ऊंचाई पर है।इसके बाबजूद हमारे साथी जवानों का हौसला काफी बुलंद होता है।हम दुश्मन को हरवक्त मूंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहते थे।
सामाजिक सरोकार से तालुक रखने वाले हरबंत कहते हैं कि शुरू से उनकी इच्छा थी,कि अवकाश ग्रहण के बाद ऐसे काम से जुड़ा जाय, जहाँ आम जनों की सेवा का अवसर मिले।इसी को सोचकर उन्होंने एम्स दिल्ली के आरपी सेंटर में सुरक्षा गार्ड के प्रमुख का जिम्मा अदा कर रहे हैं।
वर्ष 2014 में सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति से सम्मानित हरबंत कहते हैं,कि यहाँ उन्हें अस्पताल प्रशासन,वरिष्ठ चिकित्सकों,अपने साथियों एवं आम जनों का पूरा पूरा सहयोग मिलता है।इसी वजह से हम अपनी बेहत्तर सेवा दे पाते हैं।उन्हें यहाँ जरुरत मंदों की पूरी सेवा करने का भी अवसर मिलता है।इससे वह काफी खुश हैं।
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