चंद्रोदय मंदिर में हर्षोउल्लास के साथ मना नित्यनांद त्रयोदशी महोत्सव
मथुरा (आरएनआई) गौड़ीया वैष्णव सम्प्रदाय में माघ मास की त्रयोदशी को श्रील नित्यानंद महाप्रभु (जो कि श्री बलराम जी के अवतार हैं।) के आविर्भाव दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरूवार को भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में नित्यानंद त्रयोदशी महामहोत्सव को बडे़ ही हर्षाेउल्लस के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की श्रृंखला में भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार के पुष्पों का चयन कर मंदिर को बड़े ही मनोहर रूप में सुसज्जित किया गया। इसके पश्चात छप्पन भोग एवं वैदिक मंत्रोंउच्चारण कर पंचगव्य, फलों के रस, औषधियों एवं पुष्पों से श्रीश्री निताई गौर के महाभिषेक की प्रक्रिया को सम्पन्न किया गया।
इस अवसर पर भक्तों को सम्बोधित करते हुए वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के उपाध्यक्ष श्री भरतार्षभ दास ने निताइ-पदकमल, कोटिचन्द्र-सुशीतल, जे छायाय जगत् जुडाय। का गानकर। पक्तियों के विषय में प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री नित्यानंद महाप्रभु का चरण कमल कोटि चंद्रमाओं के सामन सुशीतल है, जो अपनी छाया-कान्ति से समस्त जगत् को शीतलता प्रदान करता है। ऐसे निताई चाँद के चरणकमलों का आश्रय ग्रहण किये बिना श्रीश्री राधा कृष्ण की प्राप्ति संभव नहीं है। श्री नित्यानंद महाप्रभु गुरू तत्व हंै। नित्यानंद महाप्रभु की कृपा के बिना जीव अपने आध्यात्मिक स्वरूप को नहीं जान सकता। जो त्रेता में लक्ष्मण है, द्वापर में बलराम हैं कलयुग में वहीं निताई चांद हैं। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि यह तर्क उसी प्रकार है जैसे ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की तपिस से परेशान जीव को संध्या के समय में चंद्रमा की शीतलता का एहसास, उसके पूरे दिन की थकान को दूर कर देती है। उसी प्रकार जगत के समस्त जीवों के भौतिक ताप को श्री निताई चाँद के चरणकमलों का आश्रय ही मुक्त करा सकता है।
कार्यक्रम में भाग लेने हेतु आगरा, लखनऊ, भरतपुर, जयपुर, दिल्ली, हरियाणा प्रांत के विभिन्न शहरों से भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण की नित्य विहार स्थली वृन्दावन पहुंचे।
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