चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लेंडिंग करने वाला है
चंद्रयान 3 चांद की सतह पर लेंडिंग
(आरएनआई) आज का दिन ऐतिहासिक होने वाला है क्योंकि यह दिन अतरिक्ष की दुनिया में भारत के नये युग का आगाज है। क्यूकी 4 साल पुराना यह सपना आज सच होने वाला है क्योकि इसरो का मिशन चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लेंडिंग करने वाला है। लहराने वाला है चाँद पर तिरंगा। चन्द्र्यन-3 के लेंडर को 23.08.2023 की शाम 06.04 मिनट पर 25 किलोमीटर की ऊँचाई से लैंड कराने की कोशिक होगी। इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनट का वक्त लगेगा। साइंस की भाषा में इस समय को "15 मिनट ऑफ टेरर" यानी खौफ के 15 मिनट कहा जा सकता है। इन 15 मिनट में लेंडर खुद से ही काम करता है। इस दौरान इसरो से कोई भी कमांड नही दी जा सकती। ऐसे में यह समय काफी महत्वपूर्ण होगा। भारत का चंद्रयान -3 सफल होता है तो वह चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जायेगा। चंद्रमा पर उतरने से 02 घण्टे पहले यहाँ की स्थिति के आधार पर तय होगा कि यहाँ लेडिंग की प्रक्रिया करनी है या नहीं। अगर स्थिति अनुकूल नहीं रही तो फिर लैंडिंग की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। चंद्रयान -3 को चंद्रमा की सतह से 25 किलोमीटर की दूरी से छोड़े जाने पर चन्द्रमा की सतह तक पहुँचने में 15 से 20 मिनट का समय लगेगा और यह वक्त सबसे खौफ वाला होगा। चांद पर पहुँचने के बाद विक्रम लेंडर इसरो से निर्देश मिलते ही चाँद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके 6 पहिये चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ और इसरो के लोगों की छाप छोड़ेंगे।
14 जुलाई 2023 को दोपहर 02.35 बजे आन्ध्रप्रदेश की श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च हुआ। चन्द्रमा हमारी पृथ्वी से 03 लाख 83 हजार 04 सौ किलोमीटर दूर है। चंद्रयान -3 में तीन हिस्से हैं, जिसमे पहला पोपल्शन मॉडयूल, दूसरा विक्रम लेंडर व तीसरा प्रज्ञान रोवर है। विक्रम लैडर 02 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से सॉफ्टवेयर की मदद से चंद्रमा पर लेंड करेगा। इसके बाद 26 किलो का प्रज्ञान रोवर बाहर निकलेगा। प्रज्ञान रोवर चांद पर पहुंचने के बाद जो भी जानकारी जुटायेगा, वह उस जानकारी को विक्रम लेंडर को भेजेगा और फिर विक्रम लेंडर उस जानकारी को आगे भेजेगा। प्रज्ञान रोवर चाँद की मिट्टी, केमिकल, मिनरल का अध्ययन करेगा। चाँद की सतह पर इनकी जिन्दगी 14 दिन की है।
चांद पर कई ऐसे हिस्से है जहाँ सूरज की रोशनी कभी नही पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सैल्सीयस से नीचे चला जाता है। ऐसे में अनुमान है कि यहाँ बर्फ के रूप में पानी मौजूद हो सकता है। सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान -3 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास साफ्ट लेडिंग करने वाला पहला स्पेस क्राफ्ट बन जायेगा। चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी स्पेस क्राफ्ट भूमध्य रेखीय क्षेत्र में चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांस पर उतरे है।
धरती की तरह चंद्रमा पर रोज सूर्य उदय या सूर्यास्त नहीं होता। चन्द्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक दिन का उजाला होता है। जब यहाँ रात होती है तो तापमान -100 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। अभी तक 24 इंसानों ने चाँद की सैर गई है, जिनमें से 12 इंसान चाँद की सतह पर चले हैं। यह सभी 12 इंसान अमेरिका के थे। अब तक 100 से ज्यादा अंतरिक्ष यान चाँद पर भेजे जा चुके है। ऐसा माना जाता है कि चांद पर दिखने वाले काले गड्डे ब्रह्माण्ड में घूमने वाले पिण्डों से बने हैं। यह गड्डे इतने गहरे हैं कि इनमें माउंट एवरेस्ट तक समा जाये। दिन मे चाँद का तापमान 123 डिग्री से अधिक हो जाता है। गेलिलियो की खोज में यह बात सामने आई कि चांद पर धरती की तरह ही पहाड़, जमीन, घाटी है। धरती से चांद चमकीला दिखने के साथ ही उसका कुछ हिस्सा काला दिखता है। यह काला हिस्सा लगभग 15 प्रतिशत है, जिसको मार्या कहा जाता है, जोकि लावा के जमने से बना है। चांद पर न तो वायुमंडल है और न साँस लेने के लिए हवा। चाँद पर ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने की तैयारी हो रही है।
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