यूपी: घायल तोड़ रहे दम, कैशलेस इलाज क्यों नहीं...सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब, अवमानना की चेतावनी
अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन सचिव को तलब किया है। कैशलेस इलाज योजना लागू नहीं होने पर जवाब मांगा गया है।

आगरा (आरएनआई) कैशलेस इलाज योजना लागू कराने के लिए अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर बुधवार को सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने तकनीकी दिक्कतों के कारण योजना के लागू नहीं होने के बारे में बताया। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने के आदेश दिए। यह बताने के लिए कहा कि अभी तक आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 (2) के तहत एक ऐसी योजना बनाई जाए, जिससे सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों का कैशलेस इलाज सुनिश्चित किया जा सके। आदेश में कहा था कि यह योजना 14 मार्च 2025 तक हर हाल में बननी चाहिए। इसके लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा। मामले में बुधवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुआन की पीठ ने कहा कि अगर कोर्ट को यह संतोषजनक कारण नहीं मिले कि योजना समय पर लागू क्यों नहीं हुई तो केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की, कि जब तक शीर्ष अधिकारियों को अदालत में नहीं बुलाया जाता, तब तक वे कोर्ट के आदेशों की गंभीरता को नहीं समझते हैं।
भारत में सड़क हादसों में घायल
वर्ष घायल लोग
2018 4,64,715
2019 4,49,360
2020 3,46,747
2021 3,84,448
2022 4,43,366
केंद्र सरकार ने योजना का प्रारूप तैयार कर लिया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे चंडीगढ़, असम, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और पुडुचेरी में लागू हो चुकी है। इसके अनुसार, सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को 7 दिनों तक अधिकतम 1.50 लाख तक का मुफ्त (कैशलेस) इलाज उपलब्ध कराया जाएगा।
अधिवक्ता केसी जैन की ओर से दाखिल एक और याचिका पर भी सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने सड़क हादसों में घायल और मृतकों के परिजन को अंतरिम मुआवजा देने की मांग की है। यह मांग मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164 ए के तहत की गई है, जिसके तहत केंद्र सरकार को मुआवजा योजना बनानी थी। इस पर न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने भी योजना की आवश्यकता को उचित ठहराया। इस याचिका पर अब 28 अप्रैल 2025 को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा है कि उन्होंने ट्रांसपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर फिट करने के लिए केंद्र की एडवाइजरी पर क्या कार्रवाई की है। सुनवाई अब जुलाई 2025 के बाद होगी।
विभिन्न पोर्टलों (बीमा, प्रदूषण प्रमाणपत्र, आयु-फिटनेस, स्पीड गवर्नर) की जानकारियों को ई-चालान सिस्टम से जोड़ने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है। जल्द ही इसकी भी सुनवाई तय की जाएगी।
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