ग्लेशियर-जंगल की निगरानी करेगा इसरो और नासा का निसार
जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारे जंगल और आर्द्रभूमि की भूमिका काफी अहम है। इनसे पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का नियमन होता है। निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का चक्कर लगाते हुए तमाम ग्लेशियरों, जंगलों और आर्द्रभूमियों का विश्लेषण करेगा।
नई दिल्ली, (आरएनआई) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा का पहला साझा उपग्रह निसार जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार होगा। इस उपग्रह को अगले वर्ष लॉन्च किया जाना है। अंतरिक्ष में पहुंचकर यह ग्लेशियर, जंगल और आर्द्रभूमि की निगरानी को आसान बना देगा।
नासा-इसरो सिंथेटिक अपेर्चर रडार (निसार) से जुड़े वैज्ञानिक पॉल रोसेन के मुताबिक, इस उपग्रह की रडार तकनीक से पृथ्वी पर जमीन और ग्लेशियर में आ रहे बदलावों का बेहतर तरीके से पता लगाया जा सकेगा। वहीं, वैज्ञानिक अनूप दास बताते हैं कि शोधकर्ता लंबे समय से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पृथ्वी के जंगल और आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन वैश्विक कार्बन चक्र और जलवायु परिवर्तन को किस तरह प्रभावित कर रहा है। इस सैटेलाइट से मिलने वाला डाटा हमें यह समझने में मदद करेगा।
जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारे जंगल और आर्द्रभूमि की भूमिका काफी अहम है। इनसे पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का नियमन होता है। निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का चक्कर लगाते हुए तमाम ग्लेशियरों, जंगलों और आर्द्रभूमियों का विश्लेषण करेगा। इस विश्लेषण से मिले डाटा से वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि जंगल और वेटलैंड पर्यावरण में कार्बन के नियमन में कितने अहम हैं।
जंगलों में पेड़ों के तने कार्बन भंडारण करते हैं। आर्द्रभूमियां की जैविक मिट्टी की परतों में कार्बन जमा होता है। इन दोनों ही प्रणालियों में क्रमिक या अचानक होने वाले व्यवधान वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी हानिकारक गैसों को तेजी से फैला सकते हैं। लिहाजा, वैश्विक स्तर पर बदलावों को ट्रैक करने से शोधकर्ताओं को कार्बन चक्र पर प्रभावों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
पॉल रोसेन कहते हैं कि निसार से मिले डाटा से हमें उन बदलावों की सटीक जानकारी मिलेगी, जो पृथ्वी के हरित और बर्फीले आवरण को आकार दे रहे हैं। इसके साथ ही यह भी पता चलेगा कि दुनियाभर में जंगलों के खत्म होने से कार्बन चक्र को कैसे प्रभावित होता है ग्लोबल वार्मिंग में कैसे योगदान देता है। निसार का एल-बैंड रडार पेड़ों की पत्तियों, तनों और जमीन तक को भेदने वाले सिग्नल छोड़ेगा, ये सिग्नल जब वापस उपग्रह तक लौटेंगे, तो इनसे जंगल के घनत्व की जानकारी मिलेगी। इस तरह पता चलेगा कि कहां, जंगल कम हो रहे हैं।
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