गूगल की मुश्किलें बढ़ीं, मुकदमे का करना पड़ेगा सामना; बिना इजाजत के यूजर्स का निजी डाटा एकत्र करने का आरोप
अमेरिका की एक अदालत ने गूगल को एक नए मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया, जिसमें आरोप है कि गूगल ने क्रोम यूजर्स की जानकारी बिना उनकी अनुमति के इकट्ठा की।
न्यूयॉर्क (आरएनआई) अमेरिका की एक अपीलीय अदालत ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि गूगल को एक नए मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। आरोप है कि उसने गूगल क्रोम उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) की निजी जानकारी बिना उनकी अनुमति के एकत्र की। ये उपयोगकर्ता चाहते थे कि उनका ब्राउजर उनके गूगल खाते से जुड़ा न हो।
सैन फ्रांसिस्को की सर्किट अदालत ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश को यह जांच करने के लिए कहना चाहिए था कि क्या गूगल क्रोम यूजर्स ने ऑनलाइन ब्राउज करते समय गूगल को अपना डाटा एकत्र करने की अनुमति दी थी।
पिछले साल गूगल ने एक मुकदमे से निपटने के लिए अरबों डाटा को नष्ट करने के लिए समझौता किया। इस मुकदमे दावा किया गया था कि अल्फाबेट की इकाई ने उन यूजर्स को ट्रैक किया, जो गोपनीय मोड में ब्राउज कर रहे थे। इसमें गूगल क्रोम में इनकोग्निटो मोड भी शामिल है। उसके बाद अब मंगलवार को अदालत का 3-0 का फैसला आया है।
गूगल और उनके वकीलों ने अदालत के फैसले पर अभी कोई टिप्पणी नहीं दी है। यूजर्स के वकील मैथ्यू वेसलर ने कहा कि वे फैसले से संतुष्ट हैं और अब मुकदमे की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
इस मामले में वे क्रोम यूजर्स शामिल हैं, जिन्होंने 27 जुलाई, 2016 के बाद अपने ब्राउजर को गूगल खाते से नहीं जोड़ा था। यूजर्स का कहना है कि गूगल और क्रोम को गोपनीयता की नीति का पालन करना चाहिए। क्रोम का इस्तेमाल करने के लिए निजी जानकारी देने की जरूरत नहीं है। गूगल को तब तक जानकारी नहीं मिलनी चाहिए थी, जब तक 'सिंक' का फंक्शन चालू न हो।
निचली अदालत के जज ने कहा था कि गूगल की सामान्य गोपनीयता नीति लागू होती है, क्योंकि कंपनी यूजर्स की जानकारी किसी भी ब्राउजर से एकत्र कर सकती है, भले ही वे कोई भी ब्राउजर इस्तेमाल कर रहे हों।
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