गुना-शहरी आरआई ओर हल्के के पटवारी की मनमानी, जांच के नाम पर फरियादी को कर रहे गुमराह, तहसीलदार को की शिकायत!
मामला न्यायालीन आदेश से शून्य हुई भूमि को राजस्व में सम्मलित करने का
गुना। सरकारी भूमि,नजूल भूमि के साथ ही साथ सिविल कोर्ट में जमीन के विवाद के प्रकरण को हारने के बाद ऐसी जमीन को राजस्व रकबे में शामिल न किए जाने के वाद भी अवैध रूप से शून्य हुई जमीन को कॉलोनाइजर्स खरीद कर मुंह मांगे दामों में बेचकर धन कमा रहे है, वही होना यह चाहिए कि कोर्ट के प्रकरण के बाद कोई भी उसका मालिक नही है और जमीन नजूल आदि की है तो जिला प्रशासन को उसका सीमांकन कर जमीन को शासन के अधीन करना चाहिए।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार ऐसा नही हो रहा है जिसके चलते कॉलोनाइजर प्रशासन की कमी और अनदेखी के चलते ऐसी जमीनों को या ओने पौने दामों में खरीद लेते है या जबरिया कब्जा राजस्व कर्मियों से मिल कर कर लेते है।
वही विधिक जानकारों के बताए अनुसार ऐसे ही एक सिविल मामले में कोर्ट प्रकरण के फेसले में न ही परिवादी ओर न ही प्रतिवादी के पछ में फैसला हुआ। और जमीन से दोनो को विरक्त मान कर फैसला हुआ। लेकिन प्रतिवादी पछ ने उस आदेश को छुपाते हुए उस जमीन का सौदा कर लिया, ओर उस जमीन में प्लाट काट कर बेच दिए जाकर करोड़ो कमा लिए। जबकि होना यह था कि नजूल या विरक्त भूमि को राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन कर अपने अधीन करना थी।
जब इस जमीन की कोर्ट प्रकरण में शून्य होने के बाद बिक्री होने की जानकारी कुछ जागरूक लोगो को लगी तो उन्होंने उस जमीन पर सरस्वती विहार कॉलोनी नजूल कॉलोनी से लगी कि लिखित शिकायत मय कोर्ट आदेश के तहसीलदार सिटी को की तो उन्होंने भी इसे गम्भीर मामला मानकर आर आई सिटी कैलाश नारायण साहू को जांच हेतु दी।
जब तहसीलदार सिटी गौरीशंकर बैरवा से 10 दिवस बाद जांच के निष्कर्ष की जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा कहा गया कि आरआई से जांच रिपोर्ट ले ले।
इस मामले की जांच रिपोर्ट को लेकर आरआई से आफिस में संर्पक किया गया तो वे मिले नही, जब दो दिन बाद फिर ऑफिस में सम्पर्क किया गया तो वे फिर नही मिले, जब उन्हें फोन लगाया जाकर बात की तो बे पहिले अनभिज्ञ बनते रहे। जब तहसीलदार महोदय की बात का हवाला दिया तो हड़बड़ा कर बोले उस हल्के के पटवारी संजीव अहिरवार को जांच के लिए दे दिया था।
जब संजीव अहिरवार हल्के के पटवारी से सरस्वती विहार कॉलोनी की जांच रिपोर्ट की बात फोन पर की तो उन्होंने उसे सिरे से नकार दिया,की मुझे कोई आवेदन आरआई ने दिया है, वो झूठ बोल रहे है।
इस पुरी बातचीत की जानकारी तहसीलदार श्री वेरबा जी को दी,तो उनके द्वारा उनसे जांच रिपोर्ट मंगा कर देने का बोला। इस पूरे मामले को लगभग होने को अ रहा है ओर कार्यवाही आरआई,पटवारी की जांच के बीच झूल रही है।
मतलब यह है कि अगर कोई जनसेवक, पत्रकार सरकार के हित मे कोर्ट के आदेश सहित शिकायत करता है तो तहसील के कर्मी जिनकी उन कॉलोनाइजर्स से सांठ गांठ के चलते गुमराह किया जाता है, वही उस कॉलोनाइजर्स को लाभ पहुंचाने से हितबद्ध हो जाते है।अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि सरकार का इतना बड़ा राजस्व विभाग में सिर्फ गुना शहर में तहसीदार,नायब तहसीलदार,आर आई,पटवारी,बाबू सहित अन्य क्लेरिकल व्यक्ति वर्किंग में है वही अन्य मानदेय पर भी लोग नियुक्त है तो विवादित जमीन का निराकरण में हिला- हवाली,लालफीताशाही क्यो? क्या सरकार की वेतन कम है जो साठ गांठ मैल मुलाकात पर जोर दिया जाता है। गुना के शहर और ग्रामीण तहसील में निर्विविवाद ओर ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी नियुक्त है कृपया जनहित में शासन हित मे कार्यवाही प्रस्तावित प्रचलन में लाए।
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