गुना में देखो खेल : विकास और जन सोच वाले कलेक्टर का हो जाता हैं कुछ ही दिनों में ट्रांसफर
गुना (आरएनआई) एक अच्छे इमानदार, कड़क, जनता के प्रति मानवीयता, शहर के विकास में कुछ कर गुजरने की इच्छा रखने वाले युवा कलेक्टर अमनवीर सिंह बैंस का एन चुनाव से पहिले कुछ महीनों में ही ट्रांसफर होना गुना के लिए अच्छा नही है। क्या सरकार खुद नही चाहती एक इमानदार अफसर जिले का विकास करे, जनता का दुख दर्द समझे?
गुना कलेक्टर ना खा रहे थे ना खाने दे रहे थे। जनता की सुनते थे। शासन हित में न्याय प्रिय कार्य को प्राथमिकता देते थे। अवैध कामों को करने वाले भूमाफिया, कालाबाजारी करने ओर भ्रष्टाचारियों पर थी चाबुक सो जिसका इनाम तो उन्हें मिलना ही था सो मिल गया।
दरअसल गुना कलेक्टर अमनवीर सिंह के निष्पक्ष कार्यप्रणाली से शासकीय विभागों एवं भू-माफिया, कालोनाइजरो में हड़कंप मच गया था। साथ ही पूर्व नेतागण की न चलना बहुत सी कहानी है उनके पीछे। वैसे भी विकास और जनता की सुनने वालें अधिकारी की गुना को जरुरत नही गुना को तो गुनाहगार पंसद है। जो 90 डिग्री में झुकते रहे।
बाजार के व्यापारी और दुकानदार भी मिलावट का माल नहीं बेच पा रहे थे। खाद्य विभाग की टीम के खौफ की वजह से हाट बाजार के दिन भी बाजार लगभग पूरी तरह बंद रहने लगा था।
अब मिलावखोरों की मौज हो सकती है। अवैध कॉलोनीओं में बहार आ सकती है। अवैध रुके हुए काम पूरे होने की संभावना बढी हैं। खाद्य टीम का खौफ खत्म होने से शहर के बाजार गुलजार हैं। रुकी पड़ी मलाईदार फाइलों में अब पैर लग सकते हैं। अब धूल खा रहीं नोटशीटें जल्द ही रेंगना शुरू करेंगी।
तबादले के बाद ईमानदार अफसरों और आम जनता में मायूसी फैली हुई है। अमनवीर सिंह में केवल एक ही कमी थी जो उन्हें चंद माह में ही गुना से दूर होना पड़ा। वह जन समर्पित थे। जनप्रतिनिधि समर्पित नहीं थे।
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