गुना के चर्चित नजूल आवादीय भूमि के सर्वे नम्वर 722 में लक्ष्मीगंज, सुगन चौराहा, सदर बाजार, नई सड़क, बोहरा मस्जिद, अनुराधा गली में लगते जाम के निराकरण में न्यायालय का आदेश, प्रशासन पहुंचा हाईकोर्ट, फरियादी भी जनहित में हुए हाईकोर्ट में पेश
गुना। गुना की शासकीय भूमि के साथ नजूल आवादीय भूमि पर व्यावसायिक अवैध निर्माण-कब्जे से आम लोगो के यातायात में जाम ओर परेशानियों के चलते स्थानीय लोक उपयोगी अदालत में एक जनहित PIL पत्रकार नवीन मोदी और पत्रकार सूर्यप्रकाश यादव की ओर से शेलेन्द्र सिंह यादव और बीएल कुशवाह ने फाइल किया गया था।
जिसमे अदालत दायर प्रकरण में संबन्धित चार प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए, जो तामील होने के बाद भी लगातार उपस्थित नही हुए। न्यायलय ने प्रकरण मौका देकर समझौता का अवसर देकर नोटिस जारी किया,इसके वाद भी न्यायालय में उपस्थित नही हुए।उपरांत ऑडर हो गया। जिसकी आदेश की कॉपी सभी को मिल गई।
गुना विवादित प्रकरण में न्यायालय के आदेश के बाद लगभग 6 माह तक प्रकरण में जिला प्रशासन के अधिकारी कलेक्टर ओर तहसीलदार गुना ने न्यायालय के आदेश के तहत निर्देश के तहत पालन नही किया गया तो,एक्जीक्यूशन CJM कोर्ट में फाइल किया गया, जिसमे में जारी नोटिस अनदेखी रही, न ही कोई निराकरण में कदम उठाया, वही लगातार CJM कोर्ट की अवमानना पर कोर्ट ऑफ कंटेम्प के तहत एक आवेदन दिए जाने के बाद सिविल जेल कलेक्टर ओर तहसीलदार को भेजने का निवेदन किया गया। उससे बचने कोर्ट में असत्य जानकारियों का आवेदन देते रहकर अदालत को गुमराह 3 माह तक करते रहे, इसके बाद CJM ने सुनवाई करते हुए आदेश स्थाई निराकरण किए जाकर परिपालन रिपोर्ट 16:06:2023 तक करने आदेश कर दिया है।
इस आदेश के दौरान जिला प्रशासन सहित शासन ने हाईकोर्ट में राहत के लिए पुराने ऑडर को लेकर याचिका पेश कर शरण ली है।
यह है मामला-
लक्ष्मीगंज,सुगनचोराहा,सदर बाजार,नई सड़क,बोहरा मस्जिद सहित सर्वे नम्वर 722 को लेकर PIL पर हुए आदेश में फरियादी नवीन मोदी पत्रकार और सूर्यप्रकाश यादव के पछ में लोकहित में फैशला हुआ है, जिसकी एक्जिक्युसन में भी CJM कोर्ट ने उनके पछ में फैसला देकर अतिक्रमण से जाम के स्थायी निराकरण के आदेश दिए है। उक्त CJM कोर्ट में कलेक्टर की ओर से agp(शासकीय अधिबक्ता) भी पेस हुए है। अब कलेक्टर सहित 5 अन्य हाईकोर्ट में याचिका पेस कर उसकी शरण मे गए है।
जिसमे नगरपालिका CMO, रजिस्टार,तहसीलदार, नजूल अधिकारी ओर क्लेक्टर ने याचिका लगाई है, जिसमे 26:06:2023 को बहस है को लेकर गुना pil के फरियादी ओर हाईकोर्ट में शासन व प्रशासन की याचिका प्रतिवादी नवीन मोदी पत्रकार एवं सूर्यप्रकास यादव भी अपने वकील के माध्यम से पेस आज 12:06 को हुए है।
सवाल यह है कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण होता है और आम पब्लिक परेशान होती है और न्यूसेंस की स्थिति निर्मित होने पर जनहित में स्थानीय अदालत में PIL पेस की जाकर निर्णय के पूर्व जिला प्रशासन अदालत के नोटिस के बाद भी पेस नही होती है, जब आदेश के बाद एक्जीक्यूसन में पेश होकर फैसले को खारिज करने की मांग करती,जब पुनः आदेश के परिपालन में cjm न्यायालय में ऑडर होता है तो अतिक्रमणधारियो के कब्जे से लगातार जाम को संरक्षण देने हाईकोर्ट की शरण में जाकर शासन और राजस्व हित के खिलाफ जाने वालों पर कार्यवाही न कर उन्हें बचाने के कृत्य करती है जो विकास कार्यो में व शासन के वित्त में बाधक है इससे राजस्व की भारी क्षति है। वही अन्य मामलों में शासकीय अन्य भूमियों की सांठ गांठ से कूट दस्तावेज बनाकर नगरपालिका ओर राजस्व विभाग का मेलजोल उजागर होता है तो उसमें राजनीतिक हस्तछेप ओर प्रशासन के संरक्षण में जेसीबी चलाकर गरीब लोगों को बेदखल किया जाता है। क्या ये जनहित में उचित है?
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