गुजरात उच्च न्यायालय का राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार, कांग्रेस जाएगी शीर्ष अदालत
गुजरात उच्च न्यायालय ने ‘‘मोदी उपनाम’’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी उनकी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
अहमदाबाद, 7 जुलाई 2023, (आरएनआई)। गुजरात उच्च न्यायालय ने ‘‘मोदी उपनाम’’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी उनकी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि गांधी पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं और निचली अदालत का कांग्रेस नेता को उनकी टिप्पणियों के लिए दो साल कारावास की सजा सुनाने का आदेश ‘‘न्यायसंगत, उचित और वैध’’ है।
अदालत ने कहा कि दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है।
उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।
यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता।
अदालत ने कहा, ‘‘वह (गांधी) बिल्कुल बेबुनियाद आधारों पर दोषसिद्धि (के फैसले) पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहे थे। यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि यह एक अपवाद है, जिसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में ही लिया जाता है। अयोग्यता केवल सांसदों, विधायकों तक सीमित नहीं है। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता के खिलाफ 10 आपराधिक मामले लंबित हैं।’’
उसने कहा, ‘‘इस शिकायत के बाद, वीर सावरकर के पोते ने कैम्ब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयान को लेकर पुणे की एक अदालत में एक और शिकायत दर्ज कराई गई थी। उनके खिलाफ एक और शिकायत लखनऊ की संबंधित अदालत में दर्ज की गई थी।’’
अदालत ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने पर याचिकाकर्ता के साथ किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं होगा।
न्यायाधीश ने आदेश पढ़ते हुए कहा, ‘‘अपीली अदालत द्वारा पारित किया गया आदेश उचित एवं वैध है और इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर मौजूदा आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज किए जाने के योग्य है और इसीलिए इसे खारिज किया जाता है।’’
न्यायमूर्ति प्रच्छक ने कहा कि इस चरण पर दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। उन्होंने सूरत की जिला एवं सत्र अदालत को दोषसिद्धि के फैसले के खिलाफ गांधी की याचिका पर ‘‘जल्द से जल्द’’ सुनवाई करने को कहा।
अदालत के इस फैसले से नाखुश गुजरात में कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
इस फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।
इसके बाद गांधी ने दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी याचिका दायर करने के अलावा सूरत की एक सत्र अदालत में इस आदेश को चुनौती दी थी, जो अभी लंबित है। सत्र अदालत ने 20 अप्रैल को गांधी की जमानत मंजूर कर ली थी, लेकिन दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर विधायक ने गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था।
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