गाजा में संघर्षविराम प्रस्ताव पर भारत के हिस्सा न लेने पर भड़कीं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने कहा कि गाजा में सात हजार लोगों की हत्या के बाद भी हिंसा का दौर थमा नहीं है। इन मरने वालों में से तीन हजार मासूम बच्चे थे। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं, जिसे कुचला न गया हो।
नई दिल्ली, (आरएनआई) संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में गाजा में मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए पेश प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया गया। हालांकि, भारत, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी समेत 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग रखा। अब इसपर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भड़क गई हैं। उन्होंने भारत के इस रुख पर बड़ी हैरानी जताई और जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि वह भारत के इस रुख पर शर्मिंदा हैं।
गाजा में सात हजार लोगों की हत्या के बाद भी हिंसा का दौर थमा नहीं है। इन मरने वालों में से तीन हजार मासूम बच्चे थे। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं, जिसे कुचला न गया हो। कोई ऐसी मर्यादा नहीं, जिसे तार-तार न किया गया हो। कोई ऐसा कायदा नहीं, जिसकी धज्जियां न उड़ी हों। आगे कहा कि लोगों की सामूहिक चेतना आखिर और कितनी जानें जाने के बाद जागेगी या ऐसी कोई चेतना अब बची ही नहीं?
जब मानवता के हर कानून को ध्वस्त कर दिया गया है, तो ऐसे समय में अपना रुख तय नहीं करना और चुपचाप देखते रहना गलत है।
प्रियंका ने महात्मा गांधी के उस कथन का भी उल्लेख किया कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है। उन्होंने कहा, 'मैं हैरान और शर्मिंदा हूं कि हमारा देश गाजा में संघर्ष-विराम के लिए हुए मतदान में अनुपस्थित रहा। हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी। इन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं। वे भारत के उस नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में उसके कदमों का मार्गदर्शन किया है।
जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तब रुख अपनाने से इनकार करना और चुपचाप देखना गलत है।' प्रियंका ने कहा कि यह उन सभी चीजों के विपरीत है, जिनके लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत हमेशा खड़ा रहा है।
इस्राइल-हमास युद्ध के बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए जॉर्डन की तरफ से पेश प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया है। यूएनजीए ने प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया है। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में 14 वोट पड़े। वहीं 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग रखा था। प्रस्ताव में इस्राइल और हमास के बीच मानवीय आधार पर तत्काल संघर्षविराम का आह्वान किया गया है। साथ ही यह बिना किसी रुकावट के गाजा तक मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान करता है, जिसमें पानी, बिजली और वस्तुओं के वितरण को फिर से शुरू करना शामिल है।
कनाडा ने इस्राइल पर हमास के हमले की निंदा के लिए प्रस्ताव में एक संशोधन पेश किया, जो खारिज हो गया। भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि हमास के साथ युद्ध में इस्राइल का मजबूती से समर्थन करने वाले ब्रिटेन और जर्मनी मतदान से अनुपस्थित रहे।
अमेरिका, इस्राइल, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, फिजी, ग्वाटेमाला, हंगरी, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने जॉर्डन द्वारा पेश प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था।
इस्राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और नागरिकों की जान की क्षति पर चिंतित भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दोनों पक्षों से तनाव कम करने, हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने शुक्रवार (स्थानीय समय) को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में इस्राइल-हमास युद्ध पर अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और आश्चर्यजनक नुकसान पर गहराई से चिंतित है। जारी संघर्ष में नागरिकों की जान जा रही है। क्षेत्र में शत्रुता बढ़ने से मानवीय संकट और बढ़ेगा। सभी पक्षों के लिए अत्यधिक जिम्मेदारी प्रदर्शित करना आवश्यक है।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2Xp81Z
What's Your Reaction?