गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण से शिशुओं की जिंदगी को खतरा
नए अध्ययन के अनुसार शिशु के गर्भ में रहते हुए वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से उनके शरीर में मौजूद प्रोटीन में बदलाव आ रहा है। यह बदलाव कोशिकाओं से जुड़ी 'ऑटोफैगी' जैसी प्रक्रियाओं को प्रभावित कर रहा है।
नई दिल्ली। (आरएनआई) गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण शिशुओं की कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से जन्म के समय नवजातों का वजन सामान्य से कम हो सकता है, जिसकी वजह से जन्म के तुरंत बाद ही उनकी मृत्यु हो सकती है।
वायु प्रदूषण के कारण जन्म के समय अस्थमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी, बच्चों में श्वसन संक्रमण और एलर्जी के साथ-साथ अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। यूनिवर्सिटी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल स्विटजरलैंड की शोधकर्ता डॉ. ओल्गा गोरलानोवा के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार शिशु के गर्भ में रहते हुए वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से उनके शरीर में मौजूद प्रोटीन में बदलाव आ रहा है। यह बदलाव कोशिकाओं से जुड़ी 'ऑटोफैगी' जैसी प्रक्रियाओं को प्रभावित कर रहा है। यह प्रक्रिया कोशिकाओं को स्वास्थ्य रखने में मदद करती है और जरूरत पड़ने पर ऊर्जा प्रदान करती है। प्रदूषण से शिशुओं में फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार खराब धुंध वाले बड़े शहरों में रहने वाले बच्चों के लिए प्रदूषण कई तरह से खतरनाक हो सकता है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 449 स्वस्थ नवजात शिशुओं के गर्भनाल में मौजूद रक्त और उसमें पाए गए 11 प्रोटीनों का अध्ययन किया। इस बात की भी जांच की है कि गर्भावस्था के दौरान माताएं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम10) के कितने महीन संपर्क में आईं थीं। ये कण वाहनों से निकले धुएं, टायर - ब्रेक के घिसाव और धुएं जैसे स्रोतों से पैदा हुए थे। अध्ययन में यह पाया गया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पीएम10 के कण ऑटोफैगी और उससे जुड़े प्रोटीन में आ रहे बदलावों से संबंधित थे।
एक अन्य अध्ययन में भी यह निष्कर्ष निकला था कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण के सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से नवजातों का वजन सामान्य से कम रह सकता है जो जन्म के तुरंत बाद उनकी मृत्यु का कारण बन सकता है। यदि शिशु मौत के मुंह से बाहर भी आ जाए तो वह स्थायी विकलांगता का शिकार हो जाता है। 59 लाख शिशुओं का जन्म समय से पहले : जर्नल प्लोस मेडिसिन में प्रकाशित एक अन्य शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष दुनिया भर में करीब 59 लाख शिशुओं का जन्म समय से पहले हो जाता है।
घर में मौजूद कुछ चीजें जैसे कि परफ्यूम और पेंट में पीएम 2.5 के कण पाए जाते हैं जो कि सांस द्वारा अंदर लिए जाने पर नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को इनसे दूर रखें। केमिकल वाली चीजों की बजाय नैचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। शोध के अनुसार भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण हर साल दो लाख से ज्यादा शिशुओं को गर्भ में मार रहा है।
What's Your Reaction?