क्षेत्रीय न्यूज चैनलों के जनक रामोजी राव नहीं रहे

नवेद शिकोह

Jun 8, 2024 - 16:22
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क्षेत्रीय न्यूज चैनलों के जनक रामोजी राव नहीं रहे

90 के दशक में सेटेलाइट राष्ट्रीय न्यूज चैनलों का दौर छोटे दायरे में सीमित था। सन 2000 के दशक में क्षेत्रीय न्यूज चैनलों ने टीवी मीडिया में क्रांति पैदा कर दी थी। मीडिया का दायरा बढ़ा। प्रिंट मीडिया के मीडियाकर्मियों को रोजगार के नए अवसर मिले। क्षेत्रीय चैनलों की शुरुआत का श्रेय हैदराबाद के मीडिया किंग रामोजी राव को जाता है। ख़बरनवीस से लेकर एंकर और तकनीकी दुनिया के हजारों हुनरमंदों को टीवी मीडिया मे मौका देने वाले ईटीवी ग्रुप ने देश के तमाम साउथ-नार्थ राज्यों में क्षेत्रीय चैनलों को ना सिर्फ स्थापित किया बल्कि ऐसा रिस्की प्रयोग कर कम समय में ज्यादा सफलता हासिल की। 

यूपी जैसे विशाल राज्य में ईटीवी यूपी ने तो बड़े-बड़े राष्ट्रीय चैनलों को पसीने छुड़वा दिए थे। एन के सिंह और हनुमत राव जैसे यूपी के स्थापित पत्रकारों ने शुरुआती दौर में ईटीवी यूपी के पौधे को सीचा और फिर बृजेश मिश्र जैसे प्रतिभावान हरफनमौला युवा पत्रकार के हाथ में जब चैनल की बागडोर आई तो इस नौजवान ने चैनल को इतनी बुलंदी पर पंहुचा दिया कि आजतक,आईबीएन 7, स्टार टीवी और जी न्यूज जैसे राष्ट्रीय चैनलों की टीआरपी यूपी में पिछड़ने लगी।

2003 में एक न्यूज बेस कार्यक्रम के लिए मुझे यहां काम करने के लिए बुलाया गया था। सरकारी विभागों की कमियों, भ्रष्टाचार और लापरवाहियों के बीच आम जनता की आवाज बुलंद करने के इरादे से "प्रांत की आवाज़" नाम के न्यूज बेस कार्यक्रम के बड़े प्रोजेक्ट में मुझे एक ख़ास जिम्मेदारी मिली थी। पहले रिसर्च फिर फील्ड में बाइट,फुटेज के बाद अलग-अलग विभागों के हालात को कैमरे में कैद करने के बाद लखनऊ के दुबग्गा स्थित ईटीवी यूपी के भव्य स्टूडियो में प्रान्त की आवाज कार्यक्रम के अलग-अलग एपीसोड शूट होते थे। जिसमें एंकर, आडिएंस के साथ यूपी के अलग-अलग विभागों के मंत्रियों और ब्योरोक्रेट्स को जवाबदेह बनाकर पैनल में बैठाया जाता था। ऐसे एक दर्जन से अधिक एपीसोड की बैंकिंग तैयार हुई ही थी कि यूपी की सरकार गिर गई और लाखों रुपए के बजट के ये कार्यक्रम रद्दी बन गए। मेरी तमाम मीडिया अनुभव में ये दुर्भाग्यपूर्ण तजुर्बा था। इसके बाद कुछ ऐसा ही दूसरा कार्यक्रम बना जिसका नाम था सुनो लखनऊ। इस कार्यक्रम में मुझे मौका नहीं मिला। सुनो लखनऊ के कार्यक्रम हैड बृजेश मिश्र बनाए गए थे।

मेरे आंसू पोछने के लिए ईटीवी में मुझे कुछ छुटपुट काम दिया।

2004 में ईटीवी में लोकसभा चुनाव के दौरान लखनऊ से लाइव पैनल डिस्कशन कार्यक्रम यूपी से शुरू होने वाला पहला लाइव डिबेट कार्यक्रम था। जिसकी प्लानिंग से लेकर इसकी टीम सलेक्शन का काम मुझे दिया गया था। उस जमाने के प्रिंट मीडिया के शोमैन कहे जाने वाले प्रिंट मीडिया के दिग्गज पत्रकार/संपादक घनश्याम पंकज को चुनावी चर्चा (2004 लोकसभा चुनाव) मे एंकर बनाने की मेरी राय को ईटीवी प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया था। इस चुनावी चर्चा में एक सेगमेंट चुनावी व्यंग्य का भी था जिसमें उर्मिल कुमार थपलियाल और सूर्य कुमार पांडेय जैसी हस्तियों को शामिल किया गया था। 

मोहर्रम की लखनऊ की अजादारी पर आधारित पहला कार्यक्रम सदा-ए-कर्बला के कॉर्डीनेशन का काम भी मुझे दिया गया था।

बेहद टीआरपी वाला ये कार्यक्रम एक दर्जन से अधिक देशों में दिखाया जाता था।

2000 के इस दशक में ईटीवी यूपी के न्यूज सेक्शन में उर्दू न्यूज का शोबा नामचीन शायर और पत्रकार तारिक कमर संभाले थे। कुछ न्यूज बेस कार्यक्रमों को निमिष कपूर हेड कर रहे थे। इसके अलावा विभिन्न कार्यक्रमों में फोक जलवा नाम के लोकसंगीत पर आधारित कार्यक्रम ने मनोज तिवारी (वर्तमान भाजपा सांसद) को विशिष्ट पहचान दी थी। अभय आदित्य के नेतृत्व में एक से बढ़कर एक कार्यक्रमों की श्रृंखला में अपराध न्यूज पर आधारित फिक्शन कार्यक्रम दास्तान -ए-जुर्म भी खूब देखा जाता था। इसके अलावा यूपी के कवियों और शायरों को पहला मौका देने वाला कार्यक्रम ने साहित्य को टीवी पर उतारने का काम किया था। जिसको पत्रकार अशफाक कॉर्डीनेट करते थे।

इसके बाद देश के नामचीन शायरों के मुशायरों को विश्वभर में प्रसिद्धि दिलाने में भी ईटीवी का बड़ा योगदान रहा। वैश्विक स्तर पर मुशायरों के जरिए ईटीवी को मकबूलियत दिलाने में तारिक कमर साहब का बड़ा योगदान था।

रामोजी राव जी के ना रहने की अफसोसनाक खबर सुनी तो अतीत का आईना शब्दों में उतारने का दिल करने लगा।

अलविदा रामोजी राव साहब

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