क्या धर्म परिवर्तन करने वालों को मिलेगा एससी का दर्जा? आयोग का कार्यकाल बढ़ा
जांच में सामाजिक न्याय, अधिकारों और पारंपरिक रूप से अनुसूचित जाति वर्गीकरण में शामिल नहीं किए गए धर्मों (ईसाई धर्म और इस्लाम) से धर्मांतरित लोगों को आरक्षित दर्जा दिए जाने के संभावित विस्तार से जुड़ी बातों को भी शामिल किया गया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सामाजिक न्याय और आधिकारिकता मंत्रालय ने यह जांच के लिए स्थापित आयोग का कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया है। इस आयोग का निर्माण सिख और बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों में परिवर्तित होने वाले व्यक्तियों को अनुसूचित जाति (एससी) का दर्जा दिया जा सकता है या नहीं, इसकी जांच के लिए किया गया था। आयोग 10 अक्तूबर को अपना काम समाप्त करने और रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी। जांच आयोग का गठन छह अक्तूबर 2022 में किया गया था।
जांच में सामाजिक न्याय, अधिकारों और पारंपरिक रूप से अनुसूचित जाति वर्गीकरण में शामिल नहीं किए गए धर्मों (ईसाई धर्म और इस्लाम) से धर्मांतरित लोगों को आरक्षित दर्जा दिए जाने के संभावित विस्तार से जुड़ी बातों को भी शामिल किया गया है।भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग धार्मिक रूपांतरण को समझने के लिए समाजशास्त्रियों और इतिहासकारों के साथ जुड़ रहा है। नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, आयोग को अब 10 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट जमा करनी होगी।
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