कोलकाताः 30वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का भव्य आगाज, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया उद्घाटन
30वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 29 देशों की 175 फिल्में दिखाई जाएंगी। इस बार इस महोत्सव का अथिति देश फ्रांस है। वहीं समारोह का उद्घाटन तपन सिन्हा की 'गोल्पो होलेओ सत्य' से हुई, जो इस महान निर्देशक की जन्म शताब्दी की याद में बनाई गई है।
कोलकाता (आरएनआई) कोलकाता महानगर में 30वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (केआईएफएफ) का बुधवार को भव्य अगाज हुआ। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धनो धन्य ऑडिटोरियम में इसका उद्घाटन किया। इस मौके पर दिग्गज अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, बंगाली सुपरस्टार देव, पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
11 दिसंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में 29 देशों की 175 फिल्में दिखाई जाएंगी। इस बार इस महोत्सव का अथिति देश फ्रांस है। वहीं समारोह का उद्घाटन तपन सिन्हा की 'गोल्पो होलेओ सत्य' से हुई, जो इस महान निर्देशक की जन्म शताब्दी की याद में बनाई गई है। इस अवसर पर अर्जेंटीनी फिल्म निर्देशक पाब्लो सेसर और कोलकाता में फ्रांसीसी भाषा और सांस्कृतिक केंद्र, एलायंस फ्रैंसाइज़ डु बेंगाल के निदेशक निकोलस फैसिनो भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लिखी हुए गीत पर प्रसिद्ध ओड़िशी नृत्यांगना और सौरव गांगुली की पत्नी डोना गांगुली नृत्य प्रदर्शन किया। आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीतिक जीवन की ऊर्जावान भूमिका से अलग, हल्के मूड में दिखाई दीं। वे मंच पर बांगाली सिनेमा पर चर्चा करते हुए गुनगुनाती और गाती नजर आईं और भावुक भी हो गईं। उन्होंने बांगाली फिल्मों को विदेशी फिल्मों के साथ प्रमुखता देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बंगाल की अपार प्रतिभा को उजागर किया और यह सुझाव दिया कि भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के बीच सहयोग से रचनात्मक अवसरों का विस्तार होगा और भारतीय सिनेमा को महत्वपूर्ण लाभ होगा।
मुख्यमंत्री ने तपन सिन्हा को याद करते हुए कहा, हालांकि मैं उस समय तपन दा को नहीं जानती थी, लेकिन उन्होंने मुझे एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने मेरा समर्थन किया और मेरी मुहिम पर बधाई दी। मैं आज भी उस पत्र को संजोकर रखती हूं। मैंने तपन दा को इसी तरह जाना। इस बीच, केआईएफएफ के अध्यक्ष गौतम घोष ने इस वर्ष के महोत्सव में सभी का स्वागत किया और युद्ध और जलवायु संकट के समय में सकारात्मकता को बढ़ावा देने में साहित्य और कला की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, सिनेमा समय की सामूहिक याद होती है। आने वाले दिनों में हम फीचर फिल्म्स, शॉर्ट फिल्म्स और डॉक्यूमेंट्रीज के माध्यम से इस याद को फिर से जीवित करेंगे, जो दुनिया के विभिन्न कोनों से होंगी। इसके साथ-साथ कई सेमिनार, सिम्पोजियम और चर्चाएं हमारी समझ को समृद्ध करेंगी।
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