कोर्ट के फैसले से लव जिहाद हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार; जज बोले- बरेली अदालत ने जो कहा वह साक्ष्य अधारित

अक्तूबर, 2024 में बरेली की फास्ट ट्रैक। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, लव जिहाद का मुख्य मकसद जनसांख्यिकी को बदलना और धार्मिक समूह के भीतर कट्टरपंथी गुटों की ओर से अंतरराष्ट्रीय तनाव को भड़काना है। यह सीधे तौर पर गैर-मुस्लिम महिलाओं को धोखे से विवाह कर इस्लाम में लाने से जुड़ा है।

Jan 3, 2025 - 07:50
 0  756
कोर्ट के फैसले से लव जिहाद हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार; जज बोले- बरेली अदालत ने जो कहा वह साक्ष्य अधारित

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद से जुड़े मामले में बरेली कोर्ट की ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए की गई टिप्पणियों को साक्ष्य आधारित मानते हुए हटाने से इनकार कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए पूछा, आखिर आप कौन हैं और इस मामले से कैसे जुड़े हैं? आप इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

जस्टिस ऋषिकेश रॉय व जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में साक्ष्य के आधार पर की गई टिप्पणियों को हटाया नहीं जा सकता। पीठ ने याचिकाकर्ता अनस से कहा, आप सिर्फ एक व्यक्ति हैं, आपका कोई अधिकार नहीं है। अगर साक्ष्य के आधार पर कुछ टिप्पणियां की गई हैं, तो क्या हम इसे हटा सकते हैं? पीठ ने यह भी पूछा, क्या संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस याचिका पर वास्तव में विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, वह याचिका वापस ले लें, नहीं तो खारिज कर देंगे। पीठ ने आश्चर्य जताया, मान लिया जाए कि कोर्ट के समक्ष पेश साक्ष्यों से कोई विशेष निष्कर्ष निकलता है। उसे दर्ज किया जाता है, तो क्या ऐसे स्वतंत्र मामले में उसे हटाया जाना चाहिए। 

अक्तूबर, 2024 में बरेली की फास्ट ट्रैक। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, लव जिहाद का मुख्य मकसद जनसांख्यिकी को बदलना और धार्मिक समूह के भीतर कट्टरपंथी गुटों की ओर से अंतरराष्ट्रीय तनाव को भड़काना है। यह सीधे तौर पर गैर-मुस्लिम महिलाओं को धोखे से विवाह कर इस्लाम में लाने से जुड़ा है। यह अवैध धर्मांतरण कुछ चरमपंथी व्यक्तियों की ओर से किए जाते हैं, जो या तो ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं या उनका समर्थन करते हैं। लव जिहाद की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन शामिल होते हैं और अधिकतर विदेशी फंडिंग होती है।

बरेली फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म और अन्य अपराधों में दोषी ठहराते हुए एक मुस्लिम व्यक्ति को पूरी जिंदगी जेल में रहने की सजा सुनाई थी। हालांकि महिला बाद में अपने बयान से मुकर गई थी।

 महिला ने पहले बयान दिया था कि वह आरोपी से एक कोचिंग सेंटर में मिली थी और उसने अपना नाम आनंद कुमार बताया था। हालांकि शादी के बाद पता चला कि वह मुसलमान है और उसका नाम आलिम है।'

Follow     RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.