'कोचिंग सेंटर्स को बंद कर दो', कोटा में सुसाइड करने वाली स्टूडेंट की अपील

कोटा में सुसाइड करने वाली गाजियाबाद की कृति त्रिपाठी (17) ने अपने सुसाइड लेटर में सरकार से कोचिंग सेंटर्स को बंद करने की अपील की है। कृति ने 28 अप्रैल को एक पांच मंजिला इमारत से कूदकर सुसाइड कर लिया था।

May 10, 2016 - 14:00
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'कोचिंग सेंटर्स को बंद कर दो', कोटा में सुसाइड करने वाली स्टूडेंट की अपील

जयपुर (आरएनआई) कोटा में पांच मंजिला इमारत से 28 अप्रैल को कूदने से पहले 17 साल की कीर्ति त्रिपाठी ने जो सुसाइड नोट लिखा था, वह चौंकाने वाला है। उसने लिखा कि यह जेईई मेन्स में खराब अंकों के कारण नहीं है। मैं इससे अधिक खराब की उम्मीद कर रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं खुद से इस हद तक नफरत करने लगी हूं कि मैं खुद को खत्म कर लेना चाहती थी। पत्र उसने ये भी बताया कि ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने कई लोगों को अवसाद से बाहर निकलने में उनकी मदद की थी। मैं खुद अपने लिए ऐसा नहीं कर पाई।

कीर्ति ने जेईईई मेन्स 2016 में 144 अंक हासिल किए थे, जो कि 100 अंकों के कट ऑफ मार्क्स से 44 अंक अधिक थे। ऐसे में उसके आत्महत्या के कारण को लेकर लोगों में शंका पैदा होने लगी थी।

पांच पेज के भावनात्मक आत्महत्या के नोट में उसने अपनी दोस्त को लिखा है- मुझे माफ कर दो। मेरे दिमाग में जो शोर है और मेरे दिल में जो घृणा है, घृणा मेरे खुद के लिए, वह पागल करने वाली है। मुझे जानने वाले अधिकांश लोग कहेंगे कि मैं कभी आत्महत्या नहीं करूंगी और मेरे पास इसका कोई कारण भी नहीं है।

वे नहीं जानते हैं कि मेरे अंदर क्या चल रहा है। पत्र से पता चलता है कि उसने आत्महत्या की योजना 22 अप्रैल को बनाई थी, लेकिन दोस्त ने उसे रोक लिया था। उसने साफ हैंड राइटिंग में लिखा कि दुनिया में कोई भी उसकी पूरी कहानी को नहीं जानेगा। मेरी आदत है कि मैं बातों को अपने तक ही सीमित रखती थी।

पत्र में उसने भारत सरकार और मानव संसाधन विभाग से अपील की है कि जितनी जल्दी हो सके कोचिंग संस्थानों को बंद कर देना चाहिए। वे खून चूसते हैं। पत्र से संकेत मिलते हैं कि कीर्ति मजबूत लड़की थी और उसने दूसरे लोगों को अवसाद से बाहर निकलने में मदद की, जब वे आत्महत्या करने की सोच रहे थे।

कुछ लोग कहेंगे कि वह इतनी मजबूत थी कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इस तरह का कदम उठा लेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने कई लोगों को अवसाद से बाहर निकलने में उनकी मदद की थी। मैं खुद अपने लिए ऐसा नहीं कर पाई।

उसने लिखा कि वह साइंस के लिए नहीं बनी थी। मां को संबोधित करते हुए उसने लिखा, तुमने चालाकी से मुझे साइंस पसंद करने वाला बच्चा बनाया, मैंने तुम्हें खुश करने के लिए साइंस चुनी। मेरा रुझान एस्ट्रोफिजिक्स और क्वांटम फिजिक्स में था। मुझे लेखन, अंग्रेजी, इतिहास भी पसंद हैं, और वे मुझे बुरे वक्त से निकालने में सक्षम हैं।

अपनी मां को चेतावनी देते हुए उसने लिखा कि छोटी बहन के साथ ऐसा मत करना, जो 11वीं पढ़ रही है। उसे वह करने की इजाजत होनी चाहिए, जो वह पसंद करे। कीर्ति ने अपनी बहन को सलाह दी कि वह वो काम करे, जो वह पसंद करे। वह काम करे, जो तुम्हें खुश करे।

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