कॉलेजियम के प्रस्ताव को सिंघवी ने सराहा, हाईकोर्ट में जजों के करीबियों की सिफारिश न करने से जुड़ा है मामला
अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हाईकोर्ट में जजों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ तैयार किए जा रहे प्रस्ताव की सराहना की है। उन्होंने कहा इस प्रस्ताव को जल्द लागू किया जाए। क्योंकि अब न्यायिक नियुक्तियों का कोई उद्देश्य नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के विचाराधीन दोनों प्रस्ताव क्रांतिकारी और अच्छे हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस नेता और प्रसिद्ध वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हाईकोर्ट में जजों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ तैयार किए जा रहे प्रस्ताव की सराहना की है। उन्होंने कहा इस प्रस्ताव को जल्द लागू किया जाए। क्योंकि अब न्यायिक नियुक्तियों का कोई उद्देश्य नहीं रह गया है।
एक्स पर पोस्ट में कांग्रेस नेता ने लिखा कि यदि सच है, तो सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के विचाराधीन दोनों प्रस्ताव क्रांतिकारी और अच्छे हैं। इन्हें जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों की वास्तविकता मूल रूप से कल्पना की तुलना में बहुत अधिक अस्पष्ट और बहुत अधिक गैर-उद्देश्यपूर्ण है। आपसी पीठ खुजाना, चाचा जज, पारिवारिक वंश आदि दूसरों का मनोबल गिराते हैं और कोर्ट की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि कहना आसान है, करना मुश्किल। अभी तक हम हाईकोर्ट में जज के रिश्तेदारों के रूप में वकील रिश्तेदारों के अभ्यास पर प्रतिबंध लगाने में असमर्थ हैं। यह व्यवस्था सुधार के लिए वांछनीय आवेगों से अधिक मजबूत साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि मैंने दशकों पहले लिखा था कि कॉलेजियम के न्यायाधीशों को खुद को छिपाना चाहिए और उन न्यायाधीशों की अदालतों में बैठना चाहिए जिन्हें पदोन्नति के लिए चुना गया है या पदोन्नति से पहले कार्रवाई कर रहे वकीलों को यह मौका दिया जाए। जैसे पुराने समय के कुछ सुल्तानों ने अपने जागीर की वास्तविक समस्याओं को जानने के लिए किया था। हम सभी सीवी और वास्तविकता के बीच कागजी मूल्यांकन बनाम अदालत के प्रदर्शन के बीच के अंतराल पर चकित होंगे। अब प्रस्तावित साक्षात्कार मेरे सुझाव के अनुसार अच्छे नहीं है, लेकिन कम से कम दूसरा सबसे अच्छा है। हालांकि छिपे हुए आश्चर्य की जांच पूरी तरह से अवास्तविक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस प्रस्ताव के तहत मौजूदा या पूर्व संवैधानिक न्यायालय के जजों के परिवार के सदस्यों को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश फिलहाल रोकी जा सकती है। सूत्रों की माने तो ऐसा इसलिए किया जा रहा क्योंकि एक आम धारणा है कि इन वकीलों को पहली पीढ़ी के वकीलों की तुलना में जज बनने की प्रक्रिया में प्राथमिकता मिलती है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ विचार कर सकता है। कॉलेजियम हाईकोर्ट के कॉलेजियम को ऐसे उम्मीदवारों की सिफारिश न करने का निर्देश देने पर विचार कर सकता है, जिनके माता-पिता या करीबी रिश्तेदार सर्वोच्च न्यायालय या हाईकोर्ट के वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश रहे हों। कॉलेजियम में सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका शामिल हैं। वे जानते हैं कि कुछ योग्य उम्मीदवार, जो वर्तमान या पूर्व सुप्रीम कोर्ट या हाकोर्ट जजों के करीबी रिश्तेदार हैं, इस प्रस्ताव से वंचित हो सकते हैं।
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