कैश फॉर क्वेरी: महुआ मोइत्रा की बढ़ेंगी मुश्किलें, एथिक्स कमेटी ने की सांसदी खत्म करने की सिफारिश
पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले की जांच कर रही लोकसभा की आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस मामले की कानूनी और संस्थागत जांच की सिफारिश भी की गई है।
नई दिल्ली (आरएनआई) तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों की जांच कर रही संसद की आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में महुआ की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की गई है। साथ ही मामले की कानूनी और संस्थागत जांच की सिफारिश की गई है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोप है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को 15 अक्तूबर को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि महुआ द्वारा लोकसभा में हाल के दिनों तक पूछे गए 61 प्रश्नों में से 50 प्रश्न अदाणी समूह पर केंद्रित थे।
आरोप है कि कारोबारी दर्शन हीरानंदानी की ओर से अदाणी समूह पर निशाना साधने के लिए लोकसभा में सवाल पूछती थीं। उन्होंने दावा किया कि हीरानंदानी अलग-अलग स्थानों से एवं अधिकतर दुबई से सवाल पूछने के लिए मोइत्रा की ‘लॉगइन आईडी’ का इस्तेमाल करते थे। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने आचार समिति के पास भेज दिया था।
पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले की जांच कर रही लोकसभा की आचार समिति ने 2 नवंबर को पूछताछ के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 500 पेज की इस रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महुआ मोइत्रा ने जो किया, वह बेहद आपत्तिजनक, अनैतिक और अपराध है। कमेटी की रिपोर्ट में टीएमसी सांसद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। साथ ही मामले की कानूनी और संस्थागत जांच की सिफारिश भी की गई है।
इस बीच, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि लोकपाल ने महुआ के खिलाफ लगे आरोपों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है।
यदि मानें कि लोकसभा अध्यक्ष संसदीय समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाते हैं और मोइत्रा को निष्कासित करते हैं तो इस बात की अधिक संभावना है कि मोइत्रा इस मामले को अदालत में उठायेंगी।
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य पिछले उदाहरणों का हवाला देते एक बयान में कहा कि मोइत्रा के मामले में यदि शिकायत उनके द्वारा गैर-कानूनी रूप से उपहार स्वीकार करने के बारे में है, तो मामला विशेषाधिकार के उल्लंघन का बन जाता है और इसे अचार समिति द्वारा नहीं निपटाया जा सकता है। चूंकि किसी लोक सेवक द्वारा रिश्वत लेना एक आपराधिक कृत्य है, इसलिए इसकी जांच आम तौर पर सरकार की आपराधिक जांच एजेंसियों द्वारा की जाती है।
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