कैंसर में अवसाद के कारण जानते है डॉ सुमित्रा से की अवसाद में क्या करे और क्या न करे
कैंसर एक समय ला इलाज बीमारियों में जाना जाता था परन्तु आज के दौर में इसका इलाज काफी हद तक संभव है। कैंसर का नाम सुनते ही मरीज और उनके निकट जन चिंतित तो होते ही है और ये चिंता कब अवसाद का रूप ले लेता है ये वो खुद भी नहीं जानते है।
अवसाद के सबसे सामान्य ४ कारण
१। एक बच्चे के रूप में प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजरने से जीवन में बाद में अवसाद विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। ...
२। शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हमारे जीवन के अनुभव हमारे स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं उन में से एक कैंसर है । ...
३। प्रमुख जीवन तनाव...
४। जेनेटिक्स ...
कुछ सरल उपाय जो जरूर करे -
१। घर के अंदर बंद न रहे । सामाजिक संपर्क बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए, किसी भी कारण से ऐसा न क्र सके तो कम से कम कुछ ताज़ी हवा और धूप प्राप्त करें। अध्ययन बार-बार दिखाते हैं कि बाहर समय बिताना अवसाद और चिंता को कम करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
२। स्नान करें और अपने लिए कुछ समय निकाले और अपने बारे में अच्छा महसूस करे।
३। शराब और नशीली पदार्थ के उपयोग से बचें। शराब अल्पावधि में बेहतर महसूस करा सकता है, यह कुछ भी हल नहीं करता है, और जल्दी से नए मुद्दों को पेश कर सकता है। इसके अलावा, यह एक अवसादक के रूप में कार्य करता है, अन्य पुनर्प्राप्ति प्रयासों में बाधा डालता है।
४। गहरी साँस लेने की तकनीक, योग, ध्यान, या भावनात्मक संतुलन पर केंद्रित अन्य तरीकों के साथ एक सचेत जीवन शैली का अभ्यास करें।
५। अपनी समस्याओं को नज़रअंदाज़ न करें। वे अपने आप नहीं सुलझेंगे। मदद मांगना और अपनी समस्याओं को दूर करना ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है।
६। कोशिश करें कि आप बिस्तर पर न रहें या अपनी नींद के पैटर्न को अव्यवस्थित न होने दें। अनिद्रा अवसाद को और भी बदतर बना सकती है, और नियमित नींद की दिनचर्या से चिपके रहना इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
७। वीडियो गेम ज़्यादा मत करो। यह आपको बाहरी दुनिया से अलग कर देता है, जिससे आपकी समस्याओं को बढ़ने का मौका मिलता है।
८। उदास संगीत न सुने। ये आपके वर्त्तमान मूड के साथ का तो है परन्तु अवसाद से निकलने में कारगर नहीं होगा।
९। निराशाजनक समाचार और मीडिया पर ध्यान केंद्रित न करें। ये एक अवास्तविक निराशावादी दृष्टिकोण देती है।
१०। अपने अवसाद के बारे में कभी भी खुद को दोषी महसूस न करें। यह अनुवांशिक और पर्यावरणीय जड़ों दोनों के साथ एक बीमारी है। यह आपकी गलती नहीं है, आप कमजोर नहीं हो, और आप इससे बाहर नहीं निकल सकते हो ।
११। भविष्य के बारे में बहुत ज्यादा सोचने की कोशिश न करें, खासकर अगर यह हमेशा तबाही की ओर ले जाता है, जहां आप केवल सबसे बुरे की कल्पना कर सकते हैं। कोशिश करो और आज में रहे।
सोशल मीडिया और अवसाद
अन्य लोगों के साथ अपनी और अपने जीवन की तुलना करने से बचें। आप लगभग निश्चित रूप से वास्तविकता को नहीं देख रहे हैं, और यदि आप अपने को कम आंकते हैं तो यह आपको केवल बदतर महसूस कराएगा। यह सोशल मीडिया पर विशेष रूप से सच है, जहां ज्यादातर लोग अपने जीवन के सबसे अच्छे हिस्से साझा करते हैं।
कैंसर से जुड़े अवसाद के सीधे उपाय
मृत्यु एक अटल सत्य है और इसको ले कर अवसाद में चले जाना बुद्धिमानी नहीं है। आज कैंसर ला इलाज नहीं रह गया है। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से भी मरीज अवसाद ग्रस्त हो जाता है - जैसे की बालो का गिर जाना , अंगो का काट दिया जाना , सर के बाल के साथ साथ भौओ और पलकों का भी गिर जाना व्यक्ति में एक हींन भावना को जन्म देता है। रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया द्वारा नकली बाल, नकली ऑय ब्रो, नकली पलके यहाँ तक की नकली आंख लगाई जा सकती है। पिछले दो दसको में मैंने कई ऐसे कैंसर के मरीज देखे है जो ठीक भी हुए है और कृतिम अंग लगा कर आज सर उठा कर कॉन्फिडेंस से जीवन जी रहे है। अवसाद सिर्फ आज की उपज नहीं है , अवसाद हर युग में हुआ है , राजा महाराजाओ को भी हुआ है , हिन्दू धर्म के महाग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता श्री कृष्णा की वाणी है जो अर्जुन को अवसाद से निकलती है। अवसाद से निकले जीवन को एक पुरस्कार की तरह जीने का नाम ही जिंदगी है। संघर्ष हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग है इसे अपनाये और आगे बढे।
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