केसीआर के खिलाफ जांच समिति से पूर्व जज ने वापस लिया अपना नाम, इस मामले में गठित हुआ था पैनल

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान एक पूर्व जज ने तेलंगाना सरकार की तरफ से गठित जांच आयोग से अपना नाम वापस ले लिया। दरअसल तेलंगाना सरकार की तरफ से पूर्व सीएम केसीआर के कार्यकाल में अनियमितता की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग गठन किया गया था।

Jul 16, 2024 - 16:35
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केसीआर के खिलाफ जांच समिति से पूर्व जज ने वापस लिया अपना नाम, इस मामले में गठित हुआ था पैनल

नई दिल्ली (आरएनआई) पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी ने मंगलवार को तेलंगाना सरकार की तरफ से गठित एक सदस्यीय जांच आयोग से खुद को अलग कर लिया, ये जांच समिति राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के कार्यकाल के दौरान बिजली क्षेत्र में कथित अनियमितताओं में भूमिका की जांच कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट जांच आयोग के प्रमुख के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाने वाली तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट को पूर्व जज एल नरसिम्हा रेड्डी के वकील ने बताया कि वह आयोग का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इस दलील पर गौर किया और कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को जांच आयोग में पूर्व जज रेड्डी को शामिल करने की अनुमति दे दी। इस दौरान शीर्ष अदालत ने मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता की दलीलों पर गौर किया। जिस पर केसीआर के वकील ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश ने बिना किसी जांच के के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ आरोपों के गुण-दोष पर कुछ टिप्पणियां करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके बयानों पर असहमति जाहिर की।

केसीआर को झटका देते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई को उनके की तरफ से दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बीआरएस शासन के दौरान बिजली क्षेत्र में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए जांच आयोग के गठन को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी। जिसके बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था।

अपनी याचिका में, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री ने तेलंगाना सरकार के उस आदेश को अवैध घोषित करने की मांग की, जिसमें तेलंगाना बिजली वितरण कंपनियों की तरफ से छत्तीसगढ़ से बिजली खरीद और टीएस जेनको की तरफ से मनुगुरु में भद्राद्री थर्मल पावर प्लांट और दामरचेरला में यदाद्री थर्मल प्लांट के निर्माण पर पिछली सरकार के फैसलों की सत्यता और औचित्य पर न्यायिक जांच करने के लिए जांच आयोग का गठन किया गया था। के. चंद्रशेखर राव ने मांग की कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एल नरसिम्हा रेड्डी को आयोग के प्रमुख के रूप में जारी रखना अवैध घोषित किया जाए।

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