केरल में अमीबा का चौथा मरीज, नदी-तालाबों से रहें दूर; एनसीडीसी ने सभी राज्यों को जारी किए निर्देश

केरल में एक और बच्चा दिमाग खाने वाले अमीबा संक्रमण की चपेट में आ गया है। शनिवार को पयोली जिले के एक निजी अस्पताल में भर्ती 14 साल के बच्चे की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। यह केरल में चौथा मामला है। तीन बच्चों की मौत हो चुकी है।

Jul 7, 2024 - 04:30
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केरल में अमीबा का चौथा मरीज, नदी-तालाबों से रहें दूर; एनसीडीसी ने सभी राज्यों को जारी किए निर्देश

नई दिल्ली (आरएनआई) केरल में एक और बच्चा दिमाग खाने वाले अमीबा संक्रमण की चपेट में आ गया है। शनिवार को पयोली जिले के एक निजी अस्पताल में भर्ती 14 साल के बच्चे की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। यह केरल में चौथा मामला है। तीन बच्चों की मौत हो चुकी है।

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने राज्यों को अलर्ट पर रहने के निर्देश देते हुए लोगों खासतौर पर बच्चों को नदी और तालाबों से दूर रहने की चेतावनी दी। जारी पत्र में एनसीडीसी ने बताया कि केरल के राज्य स्वास्थ्य विभाग से बैठक के बाद यह पाया है कि दिमाग खाने वाला अमीबा संक्रमण मानसून के समय तेजी से प्रसारित हो सकता है। यह अमीबा मिट्टी में पाया जाता है और नदी या जलाशयों में मौजूद पानी में जाने से यह अमीबा इंसानों के शरीर तक पहुंच सकता है। इसलिए जरूरी है कि गांव और कस्बों में इसे लेकर जागरूकता पर काम किया जाए जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

एनसीडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी को अमीबिक मेनिंगोएनसेफेलाइटिस (पीएएम) नाम से जानते हैं जो नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा की वजह से होती है। यह काफी जोखिम भरी बीमारी है जो महज चार से 14 या 18 दिन के भीतर मरीज की जान ले सकती है। इसकी मृत्यु दर करीब 98 फीसदी है जिसका मतलब यह है कि 100 में से 98 मरीजों की मौत हो सकती है।

अगर कोरोना या फिर टीबी संक्रमण की मृत्युदर से इसकी तुलना की जाए तो यह क्रमश: 97 और 10 गुना ज्यादा है। इससे साफ पता चलता है कि राज्यों का समय पर एक्शन में आना बहुत जरूरी है।

एनसीडीसी के अनुसार, केरल के कोझिकोड, मलप्पुरम और कन्नूर में तीन बच्चों की मौत हुई है। चौथा मामला अन्य जिले में सामने आया है। केरल में यह मरीज इसलिए भी सामने आ रहे हैं क्योंकि यहां के सभी जिलों को अलर्ट पर रखते हुए अस्पतालों को स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं। संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच आईसीएमआर की प्रयोगशाला में की जा रही है जहां पीसीआर तकनीक के जरिए मरीज के सैंपल में अमीबा की मौजूदगी देखी जाती है।

एनसीडीसी ने राज्यों से कहा है कि सबसे पहले संदिग्ध जिलों की पहचान की जाए ताकि वहां की स्वास्थ्य टीमों को अलर्ट पर रखा जा सके। केरल में राज्य अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान एनसीडीसी को पता चला कि पहले यह संक्रमण एक से दो जिले में देखा गया लेकिन अब यह करीब चार से पांच जिलों तक पहुंचा है। यही कारण है कि एनसीडीसी ने राज्यों से सबसे पहले संदिग्ध जिलों और स्थानों की पहचान करने की सलाह दी है।

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