केपी शर्मा ओली की पार्टी ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया

संसद में नेपाल के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल सीपीएन-यूएमएल ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नए सिरे से राजनीतिक समीकरण के मद्देनजर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल “प्रचंड” के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया।

Feb 28, 2023 - 00:30
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केपी शर्मा ओली की पार्टी ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया
केपी शर्मा ओली

काठमांडू, 27 फरवरी 2023, (आरएनआई)। संसद में नेपाल के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल सीपीएन-यूएमएल ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नए सिरे से राजनीतिक समीकरण के मद्देनजर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल “प्रचंड” के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया।

इस कदम को देश में दो महीने पहले गठित सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

सीपीएन-यूएमएल की केंद्रीय प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने बताया, “पार्टी प्रमुख के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में सोमवार को हुई इसकी एक उच्च स्तरीय बैठक में सरकार छोड़ने और प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से पार्टी का समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया।”

प्रचंड और ओली की पार्टी के अलग होने की मुख्य वजह माओवादी नेता (प्रचंड) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौड्याल का समर्थन करने का फैसला बताया जा रहा है।

पौड्याल की नेपाली कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव नौ मार्च को होंगे।

रिजाल ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने सात-दलीय गठबंधन सरकार बनाने के दौरान 25 दिसंबर के समझौते का उल्लंघन किया और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-(एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) को धोखा दिया ऐसे में पार्टी ने सरकार छोड़ने का निर्णय लिया।

उन्होंने कहा, “उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बिष्णु पौड्याल तथा विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल समेत यूएमएल के मंत्री प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा देने की प्रक्रिया में हैं।”

प्रचंड के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार में उप प्रधान मंत्री सहित आठ यूएमएल मंत्री थे और वे सभी सामूहिक रूप से इस्तीफा दे रहे हैं।

सीपीएन-यूएमएल के अलग होने से प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के अस्तित्व पर तुरंत असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि संसद में नेपाली कांग्रेस (एनसी) के 89 सदस्य हैं।

इस बीच, पूर्व टीवी पत्रकार रवि लामिछाने के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने सरकार को अपना समर्थन जारी रखने का फैसला किया है। आरएसपी के संसदीय दल के उप नेता बिराज भक्त श्रेष्ठ ने कहा कि सोमवार को पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का फैसला किया गया।

नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में यूएमएल के 79 सांसद हैं। इसी तरह, सीपीएन (माओवादी सेंटर), सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के क्रमश: 32, 10 और 20 सदस्य हैं।

नेपाली संसद में जनमत पार्टी के छह, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य हैं।

तीन प्रमुख दलों, नेकां (89), सीपीएन-माओवादी सेंटर (32) और आरएसपी (20) के साथ, सरकार को कम से कम 141 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।

प्रचंड को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए संसद में केवल 138 वोटों की आवश्यकता है।

‘माई रिपब्लिका’ अखबार के अनुसार, पौडेल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने यूएमएल के मंत्रियों को सरकार से बाहर करने के लिए दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया, जिसके चलते पार्टी को समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पौडेल ने कहा कि प्रचंड ने चेतावनी दी थी कि अगर सीपीएन-यूएमएल सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग नहीं होती है तो वह उसके मंत्रियों को तत्काल बर्खास्त कर देंगे या फिर उनके बिना ही विभागों में मंत्री नियुक्त कर देंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने जिनेवा जा रहीं विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल को आखिरी समय में रोककर अपरिपक्वता का प्रदर्शन किया।

पौड्याल यूएमएल से ताल्लुक रखती हैं। वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा जाने वाली थीं।

हालांकि, प्रचंड ने आखिरी समय में उनसे यात्रा रद्द करने को कहा। उनके इस कदम ने ओली के नेतृत्व वाली पार्टी का गुस्सा और भड़का दिया।

पौडेल ने कहा, “हमने यह फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि प्रधानमंत्री प्रचंड ने 25 दिसंबर को हुए समझौते पर अमल नहीं किया और हम पर सरकार से अलग होने का दबाव बनाया।”

प्रचंड (68) ने पिछले साल 26 दिसंबर को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी।

इस बीच, प्रचंड ने सरकार पर मंडरा रहे खतरे और आगामी राष्ट्रपति चुनाव के बीच सोमवार को अपनी कतर यात्रा रद्द कर दी। कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होती।

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