केआईआईटी आत्महत्या मामला: बढ़ते तनाव के बीच ओडिशा सरकार ने तेज की जांच, 4 और अधिकारियों को किया तलब
केआईआईटी में नेपाली छात्रा के आत्महत्या मामले से तनाव बरकरार है। इसी बीच ओडिशा सरकार ने अपनी जांच में तेजी दिखाते हुए चार और अधिकारियों को समिति के सामने पेश होने को कहा है। वहीं दूसरी ओर इस तनाव के चलते नेपाल वापस जा रहे नेपाली छात्र के लिए वहां के एक विश्वविद्यालय ने पहल की शुरूआत की है।

भुवनेश्वर (आरएनआई) ओडिशा सरकार ने 20 वर्षीय नेपाली छात्रा प्रकृति लामसाल की कथित आत्महत्या मामले में जांच तेज कर दी है। मंगलवार को सरकार ने कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) के चार और अधिकारियों को बुलाया और उनसे उच्च स्तरीय समिति के सामने पेश होने को कहा।
इन अधिकारियों में केआईआईटी के चीफ प्रॉक्टर पी के पटनायक, निदेशक संहिता मिश्रा, आंतरिक समिति प्रमुख इप्सिता सत्पथी और सहायक निदेशक स्मारिका पति शामिल हैं। उन्हें 27 फरवरी को समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। इससे पहले 21 फरवरी को केआईआईटी के संस्थापक अच्युत सामंत और सात अन्य शीर्ष अधिकारियों से समिति ने बयान लिया था।
समिति ने उनसे सवाल किया था कि क्यों सिर्फ नेपाली छात्रों को छात्रावास छोड़ने के लिए नोटिस जारी किया गया और क्यों एक महीने तक मृतक छात्रा की उत्पीड़न की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, सामंत और अन्य से नेपाली छात्रों के खिलाफ कथित नस्लीय दुर्व्यवहार पर भी पूछताछ की गई।
दूसरी तरफ इस विवाद के चलते कई छात्रों ने भारत में अपनी पढ़ाई छोड़ नेपाल वापस जाने का फैसला किया। इसके आधार पर नेपाल के प्रतिष्ठित त्रिभुवन विश्वविद्यालय ने मंगलवार को घोषणा की कि ओडिशा के केआईआईटी से सुरक्षा चिंताओं के कारण लौटने वाले नेपाली छात्रों को अब क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा के साथ नेपाल में अपनी शिक्षा जारी रखने का मौका मिलेगा।
केआईआईटी में करीब 1,000 नेपाली छात्र पढ़ रहे थे, जिनमें से 500 से अधिक छात्रों ने सुरक्षा कारणों से संस्थान छोड़ दिया है। त्रिभुवन विश्वविद्यालय (टीयू) ने एक आधिकारिक नोटिस जारी करते हुए बताया कि जो छात्र सुरक्षा कारणों से नेपाल लौटने को मजबूर हुए हैं, वे क्रेडिट ट्रांसफर के साथ टीयू में अपनी बाकी कक्षाएं जारी रख सकते हैं। देखा जाए तो यह पहल त्रिभुवन विश्वविद्यालय द्वारा नेपाली छात्रों की मदद करने के लिए की गई है ताकि वे अपनी शिक्षा में कोई व्यवधान न होने पाए।
18 फरवरी को ओडिशा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी। यह समिति आत्महत्या के कारणों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा की गई मनमानी कार्रवाई, और नेपाली छात्रों के खिलाफ कथित भेदभाव की जांच करेगी।
नेपाल सरकार ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और भारत सरकार से उचित कार्रवाई की मांग की है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी भारतीय सरकार से अनुरोध किया कि वह आत्महत्या करने वाली छात्रा और नेपाली छात्रों को न्याय दिलाए।
केआईआईटी से बीटेक की तीसरे साल की छात्रा प्रकृति लामसाल (20) का कैंपस में ही स्थित हॉस्टल में शव मिला था। बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसके बाद प्रकृति के माता-पिता को उसके निधन की जानकारी दी और उसकी मौत को आत्महत्या बताया। इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी में तनाव की स्थिति पैदा हो गई।
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