‘केंद्रीय सूचना आयोग को अपनी पीठ गठित करने का अधिकार है’, शीर्ष अदालत ने स्वायत्तता पर दिया जोर
सर्वोच्च अदालत का कहना है कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को अपनी पीठ गठित करने का पूरा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अपने कामों के निपटारे के लिए सीआईसी की स्वायत्तता बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली (आरएनआई) देश की सर्वोच्च अदालत का कहना है कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को अपनी पीठ गठित करने का पूरा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अपने कामों के निपटारे के लिए सीआईसी की स्वायत्तता बेहद जरूरी है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पिछले बुधवार को कहा था कि प्रशासनिक निकायों की स्वतंत्रता इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे वे अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभा सकें।
अदालत ने कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त के पास आयोग की पीठों के गठन से संबंधित नियम बनाने का पूरा अधिकार है। दरअसल, ये अधिकार आरटीआई अधिनियम की धारा 12(4) के दायरे में आते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआईसी जैसे संस्थान विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। अदालत के अनुसार ऐसे संस्थानों को निष्पक्षता की आवश्यकता होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आरटीआई अधिनियम अनुसार सीआईसी को अपने नियम बनाने का स्पष्ट अधिकार नहीं है। लेकिन, आरटीआई के अधिनियम 12(4) के अनुसार, आयोग को सहज रूप से अपने नियम प्रबंधित करने का अधिकार है। ये नियम सीआईसी के संचालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। शीर्ष अदालत के ये बातें वर्ष 2010 के फैसले के संदर्भ में कहीं हैं। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय के वर्ष 2010 के फैसले को खारिज कर दिया गया था। उस दौरान उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (प्रबंधन) नियम, 2007 को रद्द करने का आदेश दिया था। इस नियम को मुख्य सूचना आयुक्त ने बनाया था। उच्च न्यायलय ने ये भी कहा था कि सीआईसी को आयोग की पीठ गठित करने का अधिकार नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रशासनिक प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के लिए इन निकायों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना भी जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे निकायों के काम में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है क्योंकि इससे उनके कामों पर असर पड़ सकता है।
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