केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों को सौगात, सीएपीएफ कैंटीन के सामान पर मिलेगी 50 फीसदी जीएसटी छूट
कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन, इस छूट के लिए लंबे समय से आवाज उठा रही थी। बजट सत्र से पहले एसोसिएशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया था कि वे अंतरिम बजट में सीएपीएफ कैंटीन के उत्पादों पर 50 फीसदी जीएसटी छूट देने की घोषणा करें...
नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों के लिए राहत की खबर है। गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ कैंटीन यानी केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी) पर मिलने वाले उत्पादों पर 50 फीसदी जीएसटी छूट देने की बात कही है। इस बाबत सोमवार को गृह मंत्रालय द्वारा कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया है। कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार से सामान की खरीद पर 50 फीसदी जीएसटी सहायता दिनांक एक अप्रैल 2024 से लागू होगी। यह सहायता बजट के माध्यम से देय होगी।
कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन, इस छूट के लिए लंबे समय से आवाज उठा रही थी। इसके लिए एसोसिएशन ने अनेक केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन भी सौंपा था। पीएमओ के साथ पत्राचार के माध्यम से यह मांग उठाई गई थी। बजट सत्र से पहले एसोसिएशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया था कि वे अंतरिम बजट में सीएपीएफ कैंटीन के उत्पादों पर 50 फीसदी जीएसटी छूट देने की घोषणा करें। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था, सीपीसी कैंटीन पर जीएसटी टैक्स के चलते 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों का घरेलू बजट बिगड़ जाता है। ऐसे में सीएपीएफ कंटीन में मिलने वाले उत्पादों पर सेना कैंटीनों की तर्ज पर जीएसटी में 50 फीसदी की छूट प्रदान की जाए।
एसोसिएशन के चेयरमैन एवं पूर्व एडीजी एचआर सिंह व महासचिव रणबीर सिंह के मुताबिक, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों के लिए 26 सितंबर 2006 को सेंट्रल पुलिस कैंटीन (सीपीसी) की स्थापना की गई थी। इसका मकसद था, जवानों को बाजार भाव से सस्ता घरेलू सामान मुहैया कराना। सीपीसी कैंटीन के अस्तित्व में आने से पहले सुरक्षा बलों की यूनिट द्वारा सेना की सीएसडी कैंटीन से घरेलू उपयोग वाला सामान खरीदा जाता था। देश भर के विभिन्न राज्यों में तकरीबन 119 मास्टर कैंटीन और 1778 सीपीसी कैंटीन हैं। सीपीसी कैंटीन में मिलने वाली वस्तुओं को थोक भाव में अगर कहीं से खरीदते हैं तो कैंटीन और बाजार की दरों में कोई फर्क नहीं रह जाता।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार, अब सीपीसी कैंटीन का नाम बदलकर केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में वोकल फॉर लोकल का नारा दिया था। इसका सीपीसी कैंटीन पर देखने को मिला। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर एक जून 2020 से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार कैंटीनों में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। जीएसटी के लागू होने से पहले बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मणिपुर, मेघालय, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, तमिलनाडु, उड़ीसा व केरल आदि राज्यों द्वारा सीपीसी कैंटीन में मिलने वाली वस्तुओं पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) की छूट दी गई थी। जीएसटी लागू होने के बाद राहत के तौर पर, बजट में सहयोग करने की बात कही गई थी। इसके बाद कोई राहत नहीं मिली। कैंटीनों के सामान पर जीएसटी लागू हो गया।
इसके चलते 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों का घरेलू बजट गड़बड़ा गया। एसपीजी व एनएसजी के साथ राज्यों के लाखों सिविल पुलिस परिवार भी प्रभावित हुए हैं। एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने 14 नवंबर 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर उन्हें सीपीसी कैंटीन पर 50 फीसदी जीएसटी छूट देने के लिए ज्ञापन सौंपा था। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से सीएसडी कैंटीन की तर्ज पर सीपीसी कैंटीन के उत्पादों पर 50 फीसदी जीएसटी छूट देने के लिए पत्र लिखा गया।
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