केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों का किया ऐलान
इस साल के लिए आज केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की सूची जारी की।
नई दिल्ली (आरएनआई) गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया गया है। इसके तहत पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री से सम्मानित किए जाने वाली हस्तियों के नामों का एलान किया गया। इस बार राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति ने 139 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी है। देर रात जारी सूची में सात पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण शामिल हैं। इसके अलावा 113 पद्म श्री पुरस्कारों का भी एलान किया गया है। पद्म पुरस्कारों की सूची में 100 वर्षीय गोवा की स्वतंत्रता सेनानी लीबिया लोबो, 150 महिलाओं को प्रशिक्षित करने वाले पश्चिम बंगाल के ढाक वादक गोकुल चंद्र डे और भारत की पहली महिला कठपुतली कलाकार समेत 30 गुमनाम नायकों के नाम शामिल है।
वहीं 2025 के लिए पद्मा पुरस्कारों की सूची को लेकर शनिवार को गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया है। बताया गया है कि इस सूची में कुवैत की योग साधिका शेखा ए जे अल सबा, उत्तराखंड के ट्रैवल ब्लॉगर दंपत्ति ह्यूग और कोलीन गैंटजर का नाम शामिल है। बता दें कि इस सम्मान के तहत पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री से सम्मानित किए जाने वाली हस्तियों के नामों का एलान किया गया है। केंद्र सरकार के द्वारा दिए जाने वाले इस सर्वोेच्च नागरिक सम्मान कला, सामाजिक कार्य, विज्ञान, व्यापार, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में उत्तम कार्य करने वालों लोगों को दिया जाता है।
इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पद्म विजेताओं को बधाई दी है, पीएम ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- सभी पद्म पुरस्कार विजेताओं को बधाई! भारत को उनकी असाधारण उपलब्धियों का सम्मान करने और उनका जश्न मनाने पर गर्व है। उनका समर्पण और दृढ़ता वास्तव में प्रेरणादायक है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता कड़ी मेहनत, जुनून और नवाचार का पर्याय है, जिसने अनगिनत जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। वे हमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने का मूल्य सिखाते हैं।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर निवासी हरिमन शर्मा कम ठंड में होने वाली सेब की वैरायटी एचआरएमएन-99 विकसित करने वाले पहले किसान हैं। सेब की यह कम ठंड के साथ ही गर्म प्रदेशों में पैदा की जा सकती है। एनआरएमएन-99 स्कैब रोग प्रतिरोधी वैरायटी है। देश और दुनियाभर में इस वैरायटी के 14 लाख पौधे लगाए गए हैं। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने अध्ययन के लिए 29 राज्यों में 33,000 पौधे लगाए। देश में एक लाख से अधिक किसानों ने सेब के बाग लगाए हैं। वहीं नेपाल, बांग्लादेश, जाम्बिया और जर्मनी समेत अन्य देशों में 6000 से अधिक किसानों को 1.9 लाख से अधिक सेब के पौधे बांटे गए। इसके साथ-साथ उन्होंने एक ही खेत में सेब, आम, अनार, लीची, खुमानी, कीवी का उत्पादन करने में भी कामयाबी हासिल की।
गोवा के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली लीबिया लोबो सरदेसाई को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 1955 में पुर्तगाली शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए एक भूमिगत रेडियो स्टेशन 'वोज दा लिबरडेबे (स्वतंत्रता की आवाज़)' की सह-स्थापना की थी।
2025 के लिए पद्म पुरस्कारों की सूची में पश्चिम बंगाल के 57 वर्षीय ढाक वादक गोकुल चंद्र डे का नाम भी शामिल हैं। उन्होंने पुरुष प्रधान क्षेत्र में 150 महिलाओं को प्रशिक्षित कर लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ा और पारंपरिक ढाक वाद्य यंत्र को 1.5 किलोग्राम हल्का बना दिया। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और पंडित रविशंकर और उस्ताद जाकिर हुसैन जैसे उस्तादों के साथ प्रस्तुति दी।
केंद्र सरकार द्वारा जारी सूची में 82 वर्षीय सैली होलकर का नाम भी शामिल है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश के महेश्वर में हथकरघा विद्यालय की स्थापना की और लुप्त हो रहे माहेश्वरी शिल्प को पुनर्जीवित किया। वे रानी अहिल्याबाई होलकर की विरासत से प्रेरित थीं और 300 साल पुरानी बुनाई तकनीक को फिर से जीवित करने के लिए अपने जीवन के पांच दशक समर्पित किए।
बिहार के दो लोगों को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। इस बात की घोषणा की गई है। उनमें से एक भोजपुर जिला के भीम सिंह भवेश हैं,जबकि दूसरे मुजफ्फरपुर जिला की निर्मला देवी हैं। निर्मला देवी को पारंपरिक कढ़ाई के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है, जबकि भीम सिंह भवेश को मुसहर जातियों के लिए किए गए सामाजिक कार्य के लिए दिया जाएगा।
बिहार के पत्रकार भीम सिंह भवेश ने अपने सामाजिक कार्यो से पूरे देश में बिहार का मान बढ़ा दिया है। भोजपुर जिला के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार सह समाजसेवी डॉ.भीम सिंह भवेश को पद्मश्री पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। आरा के दैनिक अखबार के पत्रकार भीम सिंह भवेश को पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। इससे पहले ही 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में गणमान्य व्यक्ति के रूप में शामिल होने के लिए उन्हें आमंत्रित किया जा चुका है। आज 25 जनवरी को बिहार के दो हस्तियों को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई है, जिसमें भोजपुर जिला के भीम सिंह भवेश का भी नाम शामिल है।
दृष्टि बाधित होम्योपैथिक डॉक्टर विलास डांगरे (70) पिछले 50 साल से आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का किफायती कीमत पर इलाज कर रहे हैं। डाॅ. विलास डांगरे होम्योपैथी क्लीनिक, नागपुर में अब तक वह एक लाख से अधिक मरीजों का उपचार कर चुके हैं। त्वचा और दिमागी बीमारियों के विशेषज्ञ डांगरे नाड़ी की जांच कर बीमारियों का पता लगाते हैं। वह अपने अनुभव का लाभ अन्य डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर पहुंचा रहे हैं। 10 साल पहले दृष्टि रोग से पीड़ित होने के बावजूद वह अपना काम बदस्तूर कर रहे हैं।
जुमदे योमगाम गामलिन पिछले तीन दशकों से स्थानीय समुदाय को नशा से मुक्ति के लिए अथक परिश्रम कर रही हैं। उन्होंने मदर्स विजन एनजीओ की स्थापना की। इसके जरिये उन्होंने 30 बिस्तरों वाला एक नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र खोला। गामलिन स्थानीय महिलाओं, समुदायिक नेताओं और जिला प्रशासन की मदद से गेकू और काटन इलाके में भांग और अफीम की खेती के खिलाफ मुहिम चलाई। अपने एनजीओ के जरिये उन्होंने 700 से अधिक लोगों को नशे से मुक्त कराया। साथ ही उन्होंने 2000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आर्थिक रूप से स्वालंबी बनाया।
कर्नाटक में बागलकोट के गोंधली लोक गायक वेंकप्पा अंबाजी सुगतेकर (81) घुमंतू समाज से आते हैं। उन्हें गायन और कहानी कहने की शैली के चलते गोंधली का भीष्म कहा जाता है। वह 1000 से अधिक गोंधली गाने गा चुके हैं। साथ ही 150 से अधिक गोंधली कहानियां सुना चुके हैं। वह आज की पीढ़ी को गुरु के महत्व, सच्चाई, बुजुर्गों का सम्मान, भक्ति जैसे गुण भी सीखा रहे हैं। वह लुप्त हो रही गोंधली लोक कला को बचाने और बढ़ावा देने के लिए 1000 से अधिक छात्रों को निशुल्क प्रशिक्षित कर चुके हैं।
दिल्ली की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरजा भटला को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पता लगाने, उसे रोकने और उसका सही तरीके से इलाज करने के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया जा रहा है।
पी. दत्चनमूर्ति को दक्षिण भारतीय संगीत और संस्कृति के प्रमुख वाद्य यंत्र थाविल में उनकी विशेषज्ञता के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया जा रहा है। उनके पास 50 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
एल. हैंगथिंग को नागालैंड के नोकलाक क्षेत्र में फल की खेती के लिए 30 वर्षों से अधिक का अनुभव होने के कारण पद्म श्री से सम्मानित किया जा रहा है। वे गैर-देशी फलों की खेती में माहिर हैं।
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