'केंद्र दर्शक बनकर नहीं रह सकता, मामलों को हल करें', आरक्षण विवाद पर गरजे शरद पवार

महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर बढ़ते मराठा-ओबीसी संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि इसका एक ही समाधान है कि केंद्र को इसे सुलझाने के लिए पहल करनी चाहिए।

Jun 20, 2024 - 12:33
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'केंद्र दर्शक बनकर नहीं रह सकता, मामलों को हल करें', आरक्षण विवाद पर गरजे शरद पवार

मुंबई (आरएनआई) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को एक बार फिर केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र केवल दर्शक नहीं बना रह सकता। उसे मराठा समुदाय और अन्य पिछड़ा वर्ग \द्वारा आरक्षण की मांग से संबंधित मामलों को हल करने के लिए पहल करनी चाहिए। 

महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर बढ़ते मराठा-ओबीसी संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि इसका एक ही समाधान है कि केंद्र को इसे सुलझाने के लिए पहल करनी चाहिए। इसके लिए कानून तथा राज्य एवं केंद्र की नीतियों में संशोधन की जरूरत है। बता दें, पूर्व केंद्रीय मंत्री महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।

इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया था।  \समुदाय ओबीसी समूह के तहत आरक्षण की मांग कर रहा है।

कार्यकर्ता मनोज जरांगे मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल कराने मांग कर रहे हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में आती है। वे चाहते हैं कि मराठाओं के सभी रक्त संबंधियों का कुनबी जाति में पंजीकरण किया जाए। महाराष्ट्र में कुनबी खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है, जिसे ओबीसी में शामिल किया गया है। इन लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है। अब जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, इस प्रकार वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा के लिए पात्र हो जाएं।

मराठा आरक्षण की मांग के बीच दो ओबीसी कार्यकर्ता जालना जिले में भूख हड़ताल पर बैठे हैं और सरकार से यह आश्वासन मांग रहे हैं कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मौजूदा आरक्षण में बदलाव नहीं किया जाएगा।

पवार ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को नीति में बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा, 'सरकारों, विशेष रूप से केंद्र को दोनों समुदायों की मांगों का समाधान करने में अगुवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंदोलन सीमा पार न कर पाए और सामाजिक तनाव उत्पन्न न हो। सरकारें इस मुद्दे पर केवल दर्शक बनकर नहीं रह सकतीं। 

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