'केंद्र और BJP-JDS की कठपुतली के रूप में कर रहे काम', राज्यपाल के नोटिस जारी करने पर CM सिद्धारमैया
राज्यपाल द्वारा जारी किए नोटिस में सीएम से पूछा गया है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा साइट आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
बेंगलुरु (आरएनआई) मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में घिरे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अब इस फैसले की सीएम सिद्धारमैया ने आलोचना की। साथ ही गहलोत पर केंद्र सरकार और भाजपा-जेडीएस की कठपुतली के रूप में काम करने का आरोप लगाया।
सिद्धरमैया ने उन्हें नोटिस जारी करने को अवैध और संविधान के विरुद्ध बताया। दरअसल, नोटिस में सीएम से पूछा गया है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा साइट आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया। उन्होंने कहा, 'मेरी इसमें (घोटाले में) कोई भूमिका नहीं है। मेरी भूमिका कहां है?’ उन्होंने केंद्र सरकार पर राजभवन का दुरुपयोग करने और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘राज्यपाल पूरी तरह से केंद्र सरकार, भाजपा-जनता दल (सेक्युलर) की कठपुतली के रूप में काम कर रहे हैं।’
गहलोत ने एमयूडीए स्कैम को लेकर 25 जुलाई को राज्यपाल से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई थी। इसी दौरान वकील और कार्यकर्ता टीजे अब्राहम ने सिद्धारमैया पर केस चलाने की अनुमति मांगी थी। गुरुवार को राज्यपाल ने इस मामले पर संज्ञान लिया और सिद्धारमैया को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर उनका रुख स्पष्ट करने को कहा।
कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी थी।
मैसूर जिले के केसारे गांव में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के नाम करीब तीन एकड़ जमीन थी। एमयूडीए ने विकास कार्यों के लिए इस जमीन का अधिग्रहण किया। इसके बदले एमयूडीए ने पार्वती को 2021 में विजयनगर में 38,283 स्क्वायर फीट का प्लॉट दिया। ये जमीन दक्षिण मैसूर के पॉश इलाके में है। आरोप है कि विजयनगर की जो जमीन पार्वती को दी गई, वो उनके केसारे वाली जमीन से कहीं अधिक महंगी है। इससे एमयूडीए को नुकसान हुआ।
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