कृषि संकट के समाधान की तलाश करती पुस्तक

Sep 14, 2024 - 12:45
Sep 14, 2024 - 12:45
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कृषि संकट के समाधान की तलाश करती पुस्तक

नई दिल्ली (आरएनआई) भारत के कृषि संकट को लेकर किसान परेशान हैं और सरकार भी। लेकिन कई दशकों के निरंतर प्रयासों के बाद भी इसका स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है। इसका कारण यह है,कि समाधान का रास्ता हमेशा समस्या के तात्कालिक स्वरूप को देखकर निकाला जाता है।समस्या की जड़ों की पड़ताल नहीं की जाती है, इसीलिए दीर्घकालीन समाधान नहीं निकल पाता है। 

ये बातें वरिष्ठ पत्रकार सुशील भारती ने एनी बुक पब्लिकेशन से प्रकाशित अपनी शोधपरक पुस्तक ‘कृषि संकटःजड़ें और समाधान’ में कहीं है। उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भों के जरिए भारत की कृषि संस्कृति की विशिष्टताओं पर दृष्टिपात करते हुए ब्रिटिश हुक्मरानों की गलत नीतियों के कारण संकट के प्रस्थान बिंदु को समझा है। उसके विकराल रूप धारण करने के विभिन्न चरणों पर मंथन किया है। आजादी के बाद संकट के समाधान के सरकारी प्रयासों और उनकी कमियों की भी समीक्षा की है। 

उन्होंने बताया है, कि हरित क्रांति से समस्या का तात्कालिक समाधान अवश्य निकला, देश खाद्यान्न संकट से उबर गया ,लेकिन यह दीर्घकालीन संकट का जन्मदाता बन गया है। रासायनिक खेती जन-स्वास्थ्य और मिट्टी की उर्वरकता के लिए कितना नुकसानदेह साबित हुआ है, इसे बतलाया है। समाधान का रास्ता भी सुझाया है।  

 

निःसंदेह वरिष्ठ पत्रकार भारती का कृषि उद्योग से कोई सीधा संबंध नहीं है। वे न तो किसान हैं, न कृषि मंत्रालय के पदाधिकारी और न ही किसी कृषि विश्वविद्यालय के व्याख्याता या शोधकर्ता। वह एक जिज्ञासु पत्रकार हैं। हाल के किसान आंदोलनों से प्रभावित होकर उन्होंने इस विषय पर अध्ययन, चिंतन और मनन किया है और अपने निष्कर्षों को पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है। वह विशेषज्ञ होने का दावा नहीं करते, लेकिन उन्होंने जो बातें कहीं हैं वह महत्वपूर्ण हैं और कृषि संकट को समझने और उसके समाधान की तलाश करने में मददगार हो सकती हैं। 

इसलिए किसानों, किसान संगठनों, कृषि मंत्रालय और कृषि क्षेत्र से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष किसी रूप में संबंधित होने वाले हर व्यक्ति के लिए यह जरूरी पुस्तक हो सकती है। इसे एक बार गंभीरता पूर्वक अवश्य पढ़ा जाना चाहिए। संभव हैं संकट के समाधान और कृषि संस्कृति के गौरवपूर्व दौर की वापसी का रास्ता निकल आए। यह पुस्तक एमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि ऑनसाइन प्लेटफार्मों पर भी उपलब्ध है। एल.एस.

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Subir Sen Founder, RNI News