कृत्रिम प्रकाश का जीवों पर प्रतिकूल असर... एनजीटी ने केंद्र से मांगा जवाब; कहा- हलफनामा दायर करें
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की कृत्रिम रोशनी प्राकृतिक जैविक प्रक्रियाओं को बाधित करती है। इससे मानव सर्कैडियन रिदम, रात्रिकालीन वन्यजीव व्यवहार, पौधों की शारीरिक रचना और प्रवासी प्रजातियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पौधों, जानवरों और मनुष्यों पर रात में कृत्रिम प्रकाश के प्रतिकूल प्रभाव से जुड़ी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। केंद्र को अगली सुनवाई की तारीख से एक सप्ताह पहले हलफनामे के जरिये जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की कृत्रिम रोशनी प्राकृतिक जैविक प्रक्रियाओं को बाधित करती है। इससे मानव सर्कैडियन रिदम, रात्रिकालीन वन्यजीव व्यवहार, पौधों की शारीरिक रचना और प्रवासी प्रजातियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 23 दिसंबर को दिए गए आदेश में कहा कि याचिका विभिन्न प्रकाशित लेखों, अध्ययनों और शोध पर आधारित है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ट्रिब्यूनल की भोपाल क्षेत्रीय पीठ ने जुलाई 2023 के आदेश में कहा था कि प्रकाश प्रदूषण के पहलू पर विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है, जबकि इसकी पश्चिमी क्षेत्रीय पीठ ने 2024 में महाराष्ट्र के नवी मुंबई में डीपीएस झील के पास फ्लेमिंगो की मौत पर एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया, जो प्रकाश प्रदूषण के कारण उनकी दृष्टि को प्रभावित कर रही थी। ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और विज्ञान और प्रौद्योगिकी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जो मामले में प्रतिवादी हैं, उन्हें नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
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