कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए मादा चीते की मौत
श्योपुर | मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क से बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां नामीबिया से लाए गए चीतों में से 5 साल की मादा चीता साशा की मौत हो गई है। वह किडनी की बीमारी से पीड़ित थी। सोमवार सुबह साढ़े 8 बजे उसने दम तोड़ दिया। 22 जनवरी को किडनी की बीमारी से पीड़ित होने की सूचना मिली थी।
बताया जा रहा है कि भारत की धरती पर आने से पहले ही किडनी की बीमारी से जूझ रही थी और नामीबिया में उसका ऑपरेशन भी हो चुका था, लेकिन यह बात छिपाई गई थी। नामीबिया से 17 सितंबर को 8 चीतों को लाया गया था। इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाड़े में रिलीज किया था। इनमें साशा भी शामिल थी। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की दूसरी खेप कूनो लाई गई थी।
कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े के कंपार्टमेंट नंबर-5 में पिछले साल 28 नवंबर को तीन मादा चीता सवाना, साशा और सियाया को छोड़ा गया था। तीनों मादा चीता एकसाथ ही कंपार्टमेंट में रहकर शिकार भी कर रही थीं। 23 जनवरी को चीता साशा बीमार हो गई थी। जिसके बाद उसे बड़े बाड़े से छोटे बाड़े में शिफ्ट किया गया। साशा खाना नहीं खा रही थी और सुस्त रह रही थी। इलाज के लिए भोपाल से वेटनरी डॉक्टरों की टीम कूनो पहुंची थी। डॉक्टरों ने उसकी जांच की तो मादा चीता की किडनी में इंफेक्शन पाया गया।
वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी जेएन कंसोटिया ने बताया कि फीमेल चीता सुबह मृत अवस्था में मिली है, लेकिन उसकी मौत कब हुई, यह फिलहाल नहीं बताया जा सकता है। भोपाल से फॉरेस्ट और वेटनरी डॉक्टरों की एक टीम कूनो पहुंच गई है। डॉक्टरों ने उसकी किडनी में इंफेक्शन होना बताया था। वन विहार से पहुंची एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम मादा चीता को अपनी देखरेख में लेकर उसका इलाज कर रही थी। इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार भी आया था।
बता दें कि पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों (5 मादा और 3 नर) को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। सभी 8 चीते बीते चार माह में अपने नए घर कूनो में सर्वाइव भी करने लगे थे। सभी चीते अब पूरी तरह फिट होकर शिकार भी कर रहे थे।
इसी बीच, 22 जनवरी को इनमें से एक मादा चीता साशा बीमार हो गई थी। जिसका चीतों के सबसे बड़े विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोरडीफ के परामर्श से इलाज भी किया गया, लेकिन अब उसे बचाया नहीं जा सका।
साशा के परीक्षण से गुर्दों की बीमारी की पुष्टि हुई। भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने नामीबिया के चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री मंगाई। भारत के डॉक्टरों को इसे पढ़ने के बाद पता चला कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में किए गए अंतिम ब्लड सैंपल जांच में भी क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा पाया गया था जिससे यह पुष्टि हुई कि साशा को गुर्दे की बीमारी भारत में आने के पहले से ही थी।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका से भी 18 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क में 12 चीते लाए गए थे। इनमें 7 नर और 5 मादा चीते भी क्वारन्टीन बाड़ों में क्वारन्टीन अवधि पूरी कर चुके हैं। इन नए मेहमानों को भी अब छोटे बाड़ों से बड़े बाड़ों में रिलीज करने पर विचार विमर्श किया जा रहा है। फिलहाल 4 नामीबियाई चीतों को ही खुले जंगल में छोड़ा गया है।
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