कुंडलपुर में अचार्य पद पदारोहण अनुष्ठान में शामिल हुए संघ संचालक मोहन भागवत सहित अनेक गण मान्य जन
दमोह (आरएनआई) युग श्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज की समता पूर्वक समाधि होने के पश्चात रिक्त सिंहासन पर आचार्य पद पदारोहण हेतु अनुष्ठान महोत्सव का आयोजन सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र जैन तीर्थ कुंडलपुर में आयोजित किया गया। जिसका साक्षी बनने देश भर से लाखो की संख्या में भक्तों की उपस्थिति से विशाल पांडाल एवं परिसर छोटा पड़ता नजर आया।
दमोह जिले की कुंडलपुर में 16 अप्रैल की दोपहर आयोजित इस भव्य और दिव्य कार्यक्रम में देश-विदेश से जुटे श्रद्धालु भक्तों के बीच आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रथम शिष्य ज्येष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक श्रमण मुनि श्री समय सागर जी महाराज को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित कर आचार्य सिंहासन पर विराजमान किया गया।
इसके पूर्व संघ संचालक डॉ मोहन भागवत ,मंत्री प्रहलाद पटेल, दानवीर अशोक पाटनी द्वारा सिंहासन का लोकार्पण करके सभी श्रावक श्रेष्ठि ,जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष एवं उपस्थित भारी जनसमूह ने आचार्य पद पर विराजमान होने के लिए मुनि श्री से निवेदन किया।ंततपश्चात संपूर्ण मुनि संघ निर्यापक श्रमण श्री समय सागर जी को लेकर आया और सिंहासन पर विराजमान कराया। शंखनाद हुआ और शास्त्रोक्त विधि पूर्वक मंत्रो के साथ कलश स्थापना हुई ।आचार्य श्री की महान कृति धीरोदय काव्य संग्रह सहित अन्य पत्रिकाओं का विमोचन डॉ मोहन भागवत ने किया।
इस अवसर पर ध्वजारोहण कंवर लाल सुरेश अशोक विमल पाटनी किशनगढ़ द्वारा किया गया। मंगलाचरण सुषमा दीदी ने किया। आचार्य श्री विद्यासागर मंडपम पंडाल का उद्घाटन प्रदीप नवीन चक्रेश जैन पीएनसी परिवार द्वारा किया गया ।अतिथियों द्वारा कुंडलपुर के बड़े बाबा ,आचार्य श्री ज्ञान सागर जी, आचार्य श्री विद्यासागर जी के चित्र का अनावरण किया एवं दीप प्रज्वलित किया।
मुख्य अतिथि डॉ मोहन भागवत ने अतिथि उद्बोधन मे कहा मैंने आचार्य श्री विद्यासागर जी के दर्शन पहली बार जबलपुर दयोदय में किए थे।आध्यात्मिक का परिचय तो था नहीं भय था कैसे मिलेंगे ।अपने देश की विशेष संस्कृति है वही जान सकता है जो आध्यात्मिक का साधक हो आचार्य श्री आध्यात्मिक साधक थे । स्वयं के बल पर थे संपूर्ण भारत को एकाकार किया हम एक कैसे हैं इसे जानने स्व को जानना चाहिए ।आचार्य श्री कहते थे भारत को भारत कहो इंडिया नहीं कहे ।अभी डोंगरगढ़ में आखिरी बार आचार्य श्री से मिला। उन्होंने पते की बात कही की जंगलों में बसने वाले बहुत अच्छे कारीगर हैं इस दिशा में कार्य होने चाहिए।वे अजातशत्रु थे ईश्वर की मंडली हमको मिलती रहे विद्यासागर जी उसे मंडली के थे ।आंखों के सामने वैसा ही आचार्य चाहिए आप सबने पूज्य मुनिश्री समय सागर जी को चुना है। उनके प्रति प्रणाम अर्पण करता हूं ।
कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री प्रमाण सागर जी ने किया। इस अवसर पर निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी, श्री सुधा सागर जी, श्री प्रणम्य सागर जी, श्री अभय सागर जी, श्री संभव सागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन दिए। मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा भावी पीढ़ी को उस लायक बनाया जाए जिससे भारतीय संस्कृति गौरवान्वित हो सके। आचार्य श्री समय सागर जी महाराज का आशीर्वाद सदैव मिलता रहेगा सरकार को एवं प्रदेशवासियों को। इस अवसर पर नव आचार्य श्री समय सागर जी महाराज ने अपनी प्रथम देशना दी। अभिनव आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन अशोक पाटनी परिवार द्वारा किया गया। शास्त्र भेंट किए गए।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2X
What's Your Reaction?